वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी के नाम से जाना जाता है. कहते हैं इस दिन माता सीता प्रकट हुई थीं और इसे जानकी जयंती भी कहा जाता हैं. आपको बता दें कि इस बार सीता नवमी आज यानी 13 मई को है और इस दिन राम-जानकी की विधि-विधान से पूजा करने का चलन है क्योंकि इससे घर पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं कैसे हुआ था माँ सीता का जन्म. जन्मकथा - मिथि वैशाख के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन, पुष्य नक्षत्र में मिथिला नरेश राजा जनक ने संतान की कामना से हवन आयोजित किया था। इसके बाद वह हल से भूमि जोत रहे थे, तभी उनका हल धरती में किसी चीज से टकराकर फंस गया, काफी मेहनत के बाद भी हल नहीं निकला। आखिरकार भूमि से मिट्टी हटाई गई, नीचे एक संदूक में बच्ची मिली। राजा जनक को कोई संतान नहीं था, इसलिए वे बच्ची को अपनी बेटी मान उसका नाम मैथिली रखा। इसी वजह से सीता नवमी को मैथिली दिवस भी कहते हैं। आगे जाकर यही मां सीता के नाम से प्रसिद्ध हुईं। ऐसे करें पूजा: कहते हैं इस दिन स्नान करने के बाद जमीन को लीपकर अथवा स्वच्छ जल से धोकर आम के पत्तों और फूल से मंडप बनाना चाहिए. उसके बाद उसमे एक चौकी रखें, फिर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाएं. अब इसके बाद इस चौकी को फूलों से सजाएं और भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें. अब श्रीराम और माता सीता के नाम का संकल्प पढ़कर विधि-विधान से पूजन करें. सीता नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त - सुबह 10.37 बजे से दोपहर 1.10 बजे तक. आज 9 बजे तक है अशुभ मुहूर्त, न करें कोई शुभ काम आज बहुत बड़ा नुकसान कर रहा है आपका इंतज़ार, रहे बचकर आज इन आरतियों से करें गंगा माँ को खुश