खतरे में पड़ा कश्मीर का व्यावसायिक तबका, अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुए ऐसे हाल

जम्मू: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के 6 माह बाद भी डल झील के किनारे खड़े हाउस बोट्स, स्कीइंग के लिए मशहूर गुलमर्ग के अधिकांश होटल खाली पाए गए है. वहीं जबकि सर्दियों के मौसम में ये होटल और हाउस बोट्स पूरी तरह फुल रहा करते थे. जंहा इसके साथ ही इनके आसपास कालीन, कशीदाकारी वाले कपड़े और केसर बेचने वाली दुकानें भी खाली नजर आ रही हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि आतंकवाद से लंबे समय से परेशान लोग इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. सरकार को उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए बेल आउट पैकेज देना चाहिए, परंतु अभी तक इसके कोई संकेत नहीं मिले हैं.

मिली जानकारी के अनुसार कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष शेख आशिक अहमद का कहना है कि पांच अगस्त 2019 के बाद से लगी पाबंदियों से दिसंबर के पहले सप्ताह तक लगभग 18,000 करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि  हमने व्यापार का एक बड़ा सीजन खो दिया. उन्होंने कहा कि रेशम कालीन उद्योग में कार्यरत 50,000 से अधिक बुनकर यूरोप से कोई ऑर्डर न मिलने के कारण बेरोजगार हो गए हैं. होटल व्यवसायी आसिफ इकबाल का कहना है कि पर्यटन उद्योग वेंटिलेटर पर है. गंभीर संकट के दौर से गुजर रहे पर्यटन उद्योग को बचाने के लिए बेलआउट पैकेज की आवश्यकता है.

वहीं ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले निगहत शाह ने कहा कि उन्होंने एक ट्रैवल एजेंसी शुरू करने के लिए 2016 में कर्ज लिया था. उस समय मुझे यकीन था कि वह पांच साल में कर्ज अदा कर मुक्त हो जाएंगे. लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में उसे कर्ज चुकाने के लिए अपने ऑफिस के फर्नीचर तक को बेचना पड़ रहा है. केसीसीआई ने केंद्र सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा व्यवधान के कारण लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं. वित्तीय संस्थागत के ऋण लेने वालों के पर्याप्त संख्या में दिवालिया होने की आशंका है. कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए हैं या बंद करने पर विचार कर रहे हैं.

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