लघु फैक्टरी विधेयक मॉनसून सत्र में प्रस्तावित

नई दिल्ली: लघु फैक्टरी विधेयक आगामी माह में प्रारम्भ हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में पेश किए जाने की आशंका है, जिसके अन्तर्गत अन्य बातों के अतिरिक्त 40 से कम श्रमिकों वाली इकाइयों को 14 श्रम कानूनों से छूट देने का प्रस्ताव दिया गया है. श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने बताया 'लघु फैक्टरी (सेवा की नियुक्ति शर्तों का नियमन और सुगमता) अधिनियम संसद के मानसून सत्र में आने की आशा है. मंत्री ने कहा कि विधेयक को मॉनसून सत्र प्रारम्भ होने से पूर्व मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. संसद का सत्र 21 जुलाई से प्रारम्भ हो रहा है. श्रम मंत्रालय ने विधेयक पर त्रिपक्षीय परामर्श करवाया था.

विधेयक में प्रमुख मुद्दे

- छोटी फैक्ट्रियों पर लागू श्रम कानून के विभिन्न प्रावधानों को इकट्ठा करने का प्रस्ताव है ताकि उनके अनुपालन और सूचना देने में इकाइयों को सरलता हो. - लघु फैक्ट्रियों का परिचालन सरल होगा ताकि सामाजिक सुरक्षा के मूल प्रावधानों से समझौता किए बिना छोटी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के जरिए रोजगार सृजन बढ़े. - बैंक खाते के माध्यम से वेतन का भुगतान और बिना किसी परिवर्तन के सामाजिक सुरक्षा के प्रावधानों को बरकरार रखने का प्रस्ताव है. - बहुत छोटी फैक्टियों जिसमें पांच से अधिक कामगार न हों, को काम की पाली, उपस्थिति, देर से आने, नियुक्ति पत्र जारी करने की जिम्मेदारी और अनुचित श्रम व्यवहार से जुड़े प्रावधानों से छूट दी जावेगी.

मंत्री बोले 'श्रम कानून (निरोधक एवं नियमन) संशोधन विधेयक 2012 को गत माह मंत्रिमंडल से स्वीकृति प्राप्त चुकी है और इसे संसद में पेश किया जा सकता है. इस विधेयक के अन्तर्गत परिवारिक कारोबार या मनोरंजन उद्योग में बच्चों को स्कूल के बाद या अवकाश के समय काम करने की अनुमति दी गई है. इस संशोधन में यह स्पष्ट किया गया है कि 14-18 साल के बच्चों को खतरनाक उद्योग में काम करने की अनुमति नहीं प्रदान की जावेगी.

नई पेंशन योजना भी आने की आशा

मंत्री कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम 1952 में संशोधन वाला विधेयक प्रस्तावित किए जाने के प्रति भी थोड़ी उम्मीद रखते है. इसमें संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि योजना और नई पेंशन योजना में से किसी एक का चयन करने का विकल्प देने का प्रस्ताव दिया गया है. श्रम मंत्री बोले 'औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2015 पर त्रिपक्षीय परामर्श किया जावेगा. सम्भावना है इसे संसद के इस सत्र में प्रस्तावित नहीं किया जा सके.

इस विधेयक को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 और औद्योगिक रोजगार (स्थाई आदेश) अधिनियम 1946 के स्थान पर प्रतिस्पथित करने का लक्ष्य है. प्रारूप में ऐसी कंपनियों को बिना आधिकारिक स्वीकृति के छंटनी का अधिकार प्रदान किया गया है जिनके पास 300 से कम कामगार होंगे. वैसे इस तरह की छूट अधिकतम 100 श्रमिकों वाली इकाइयों को प्राप्त हुई है.

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