नई दिल्ली. कोरिया विश्वविद्यालय के एक रिसर्च में पाया गया है कि स्मार्टफोन के लगातार इस्तेमाल से किशोरों के डिप्रेशन, बेचैनी और नींद ना आने जैसी बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है. स्मार्टफोन और इंटरनेट के बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करने वाले युवाओं के दिमाग का रासायनिक समीकरण असंतुलित हो जाता है. विश्वविद्यालय ने युवाओं में बढ़ते स्मार्टफोन के क्रेज़ को देखते हुए एक रिसर्च किया. इसमें स्मार्टफोन और इंटरनेट की लत वाले किशोरों के मस्तिष्क में झांकने के लिए मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एमआरएस) का इस्तेमाल किया. एमआरएस एक तरह का एमआरआई होता है, जो दिमाग के रासायनिक घटकों को मापता है. रेडियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ नार्थ अमेरिका (आरएसएनए) के वार्षिक सम्मेलन में पेश की गई रिसर्च में इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत से ग्रस्त 19 युवाओं के दिमाग के मुकाबले स्वस्थ लोगों से की गई. इन 19 में से 12 युवाओं को रिसर्च के ज़रिए नौ हफ्ते की संवेदनात्मक चिकित्सा भी दी गई. अध्ययन में शामिल किये गए युवाओं का चयन एक प्रश्नावली के आधार पर किया गया था. इसमें उनके इंटरनेट और स्मार्टफोन के दैनिक इस्तेमाल, सामाजिक जीवन, उत्पादकता, सोने की आदत और भावनाओं से जुड़े प्रश्नों को शामिल किया गया था. कोरिया विश्वविद्यालय के ह्यूंग सुक सियो ने बताया, जितना अधिक स्कोर उतनी गंभीर लत. बैडमिंटन टूर्नामेंट- फाइनल में हारे लक्ष्य सेन ट्रेनों का सही पता बताएगी ये सरकारी एप मूडीज के विपरीत फिच का अनुमान