तो इसलिए सुबह के सपने हो जाते हैं सच

जीवन में सपने हर इंसान को आते हैं। लेकिन जो जन्मजात से देख नहीं सकता केवल उन्हे ही सपने नहीं आते हैं। क्या आप जानते हैं की आपको जो भी सपने आते हैं उनका आपके जीवन से जुड़ा कोई न कोई संबध जरूर होता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की व्यक्ति को जो सपने सुबह-सुबह आते है वह सपने जरूर सच होते हैं। आज हम आपसे सुबह के सपने से जुड़ी कुछ चीजे बताने जा रहे हैं साथ ही आपको यह भी बताएंगे की आखिर सुबह का सपना कैसे फल देता है। सुबह के सपने के सच होने से सम्बन्धित रामायण में एक सुन्दर प्रसंग है और आज हम उसी प्रसंग के बारे में बता रहे हैं।

ये प्रसंग उस समय का है जब रावण छल से सीता माता का अपहरण कर ले गया और उन्हें अशोक वाटिका में बंधक बना कर रख दिया। उस समय माता सीता की देखभाल और पहरा करने के लिए कई राक्षसी अशोक वाटिका में तैनात थी, इसमें त्रिजटा नाम की राक्षसी भी थी उसने एक दिन एक सपना सुबह सुबह देखा उसने अपने सपने के बारे में दूसरी राक्षसियों को बताया उसका प्रसंग इस तरह है।

एक त्रिजटा नाम की राक्षसी थी जिसकी राम के चरणों में प्रीति थी और वह विवेक में निपुण थी। उसने सभी को बुलाकर अपना स्वप्न सुनाया और कहा सीता की सेवा करके अपना हित साध लो। त्रिजटा अपने सपने के बारे में बताते हुए कहती है कि मैंने स्वप्न में देखा कि एक वानर ने लंका जला दी और राक्षसों की सारी सेना मार डाली। दशानन यानि रावण नंगा होकर गधे पर बैठा है। उसके सिर मुंड़े हुए हैं, बीसों भुजाएं कटी हुई हैं।

इसके बाद त्रिजटा कहती है कि रावण दक्षिण यानी यमपुरी की दिशा को जा रहा है और मानो लंका विभीषण ने पाई है। नगर में राम की दुहाई फिर गई और प्रभु ने सीता को बुला भेजा। अपने सपने के बारे में बताने के बाद त्रिजटा कहती है कि यह स्वप्न चार दिनों बाद सत्य होकर रहेगा। उसके वचन सुनकर वे सब राक्षसनियां डर गईं और जानकी के चरणों पर गिर पड़ीं। ये तो आप सभी जानते हैं कि बाद में यह सपना सच हुआ और हनुमान जी ने लंका जलाया और श्रीराम ने रावण का वध करने के बाद लंका का राज-पाट विभीषण को सौंप दिया था। 

 

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