आज लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए सूतक काल और टाइमिंग

वर्ष 2024 का दूसरा एवं अंतिम सूर्य ग्रहण बुधवार, 2 अक्टूबर को घटित होगा। यह सूर्य ग्रहण ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बहुत खास माना जा रहा है क्योंकि यह कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में वलयाकार रूप में दिखाई देगा। हालांकि, भारत में यह सूर्य ग्रहण दृश्यमान नहीं होगा। इस सूर्य ग्रहण की विशिष्टता इस बात में भी है कि इस दिन सर्वपितृ अमावस्या पड़ रही है, जिससे पितरों का श्राद्ध कर्म करने वालों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि ग्रहण के दौरान कोई विघ्न तो नहीं आएगा। आइये आपको बताते है कि यह सूर्य ग्रहण कहां दिखाई देगा, इसका समय क्या होगा, और भारत में इसका सूतक काल मान्य होगा या नहीं।

सूर्य ग्रहण का समय और अवधि साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर की रात में शुरू होगा। भारतीय मानक समय (IST) के मुताबिक, ग्रहण का आरंभ रात 9:12 बजे होगा। लगभग मध्यरात्रि में, यानी 12:15 बजे, ग्रहण का प्रभाव अपने चरम पर होगा। फिर, यह ग्रहण 3 अक्टूबर की रात 3:17 बजे समाप्त हो जाएगा। कुल मिलाकर, इस सूर्य ग्रहण की अवधि करीब 6 घंटे 5 मिनट होगी। ग्रहण की इस लंबी अवधि के चलते वैज्ञानिक और खगोलविद इस खगोलीय घटना का अध्ययन करेंगे।

कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण? यह सूर्य ग्रहण दुनिया के कुछ खास हिस्सों में ही दिखाई देगा, जिसमें भारत शामिल नहीं है। खगोलविदों का कहना है कि यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भागों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स, बेका आइलैंड, फ्रेंच पॉलिनेशिया महासागर, उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी भाग, फिजी, न्यू चिली, ब्राजील, मेक्सिको और पेरू के कुछ क्षेत्रों में देखा जा सकेगा। इन जगहों पर वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, जिसमें सूर्य का किनारा चमकते हुए अंगूठी के रूप में नजर आता है। इस प्रकार के ग्रहण को 'रिंग ऑफ फायर' कहा जाता है।

भारत में सूतक काल मान्य होगा या नहीं? सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल का महत्व धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से होता है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। सूतक काल को अशुभ माना जाता है और इस दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश आदि को करने की मनाही होती है। सूतक काल में देवी-देवताओं की पूजा, मूर्ति स्पर्श और मंदिरों में प्रवेश वर्जित माना जाता है। आमतौर पर, मंदिरों के कपाट इस समय के दौरान बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ रोक दी जाती है।

हालांकि, चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। भारत में कोई धार्मिक या मांगलिक कार्य सूतक काल के प्रभाव में नहीं आएंगे, और आम जन जीवन पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।

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