प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। जी दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। इनमे पहला कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। आपको बता दें कि इस बार मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 5 दिसंबर 2022, सोमवार को यानी आज है। जी हाँ और सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। अब हम आपको बताते हैं सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और कथा। सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2022- मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 05 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 57 मिनट से प्रारंभ होगी और 06 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 05 दिसंबर को शाम 05 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक है। धनु संक्रांति से शुरू हो जाएगा खरमास, जानिए तारीख और प्रमुख बातें सोम प्रदोष व्रत कथा- पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं। क्यों शादी में होता है गठबंधन, जानिए इसका मतलब और महत्व ये हैं दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली मंत्र, जाप से हर कष्ट होगा दूर इस दिन है गुरुवायुर एकादशी, जरूर पढ़े यह कथा