देसी घी की कुछ बूंदे कर सकती है एलर्जी का परमानेंट इलाज

जुकाम,अगर पुराना हो जाये तो बहुत तकलीफ देता है.नाक से पानी बहना, नाक बंद रहना या आंखों में खारिश आना और पानी बहना, ये सारी पुराने जुकाम की निशानियां हैं. जब भी हमे किसी चीज से एलर्जी होती है तो हमारा शरीर उसके खिलाफ विरोधी तत्व बनाने लगता है जैसे कि जब धूल-मिट्टी के कण हमारे नाक की झीली से टकराते है तो हमारे नाक की झिली उसके उल्ट विरोधी तत्व बनाती है. जिस वजह से नाक की झिली लाल हो जाती है, नाक में से पानी बहने लगता है. 

यह रेशा कानों की तरफ जाकर कानों में से तरह-तरह की आवाजें आने लगती है. बाद में यह रेशा गले में जाती है और गले की खराश का कारण बनती है. जिस वजह से गले की खांसी की वजह से मरीज को बार-बार रेशा थुकनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में कुछ मरीजों के नाक का मास भी बढ़ जाता है, जिस वजह से नाक बंद रहने लगती है. 

जिनको यह बीमारी होती है उन मरीजों का सिर भारी रहने लगता है. वहीं यह रेशा आगे जाक छाती में जाकर दमे का कारण बनती है, जिससे मरीज की छाती में रेशा बनने लगता है और छाती से आवाज आने लगती है. ऐसे केसेज में मरीज स्टेरॉइड्स ले रहे होते है, जिनका शरीर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है.इन सब बीमारियां का सिर्फ एक ही इलाज है कि सुबह उठकर अपनी नाक में देसी घी की 2-2 बूंदे डालें. ऐसे इसलिए क्योंकि देसी घी की वजह से एलर्जी के कण नाक की झिल्ली को छूं नहीं पाते. सात ही जिस जगह से एलर्जी शुरू हुई होती है, उसी जगह से ठीक होने लगते है. 

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