कैमरे से जुड़ी कुछ गलफ़हमिया

दिल्ली: आज हम यहाँ आपकी कुछ ऐसी गलतफहमियां दूर करने वाले है जिससे आपकी तकनीक और बढ़ जाएगी. हम यहाँ बात कर रहे है फोटोग्राफी की अक्सर यह समझा जाता है की जीता ज्यादा मेगा पिक्सल उतनी अच्छी फोटो. यहां एक बात और साफ कर दें कि कोई भी फोन कैमरा, कभी भी डीएसएलआर की कमी पूरी नहीं कर सकता इसलिए कभी भी ऐसे विज्ञापनों  पर  विश्वास ना करे जिनमे मोबाइल कैमरा को डीएसएलआर से बेहतर बताने का दावा किया जा रहा हो.

 

इस मिथ को समझने के लिए आपको समझना होगा पिक्सल क्या होता है? दरअसल, कोई भी तस्वीर छोटे-छोटे डॉट से मिलकर बानी होती  है, जिन्हें पिक्सल कहा जाता है. इनसे मिलकर ही तस्वीर तैयार होती है. ये पिक्सल, हज़ारों-लाखों छोटे-छोटे डॉट से बनते हैं, जो आम तौर पर आपको अपनी फोटो में नज़र नहीं आते है 

 

बता दें कि  कैमरे की गुणवत्ता तय होती है कैमरा लेंस, लाइट सेंसर, इमेज प्रोसेसिंग हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की जुगलबंदी से. उदाहरण के लिए आईफोन 6, जो 8 मेगापिक्सल कैमरे के साथ आता है और बाज़ार में मौज़ूद कई 13 मेगापिक्सल कैमरे वाले फोन से बेहतर काम करता है. फोन में अतिरिक्त मेगापिक्सल सिर्फ आपकी प्रिंट की गई तस्वीर में सहायक हो सकते हैं. इसलिए कैमरा कि क्वालिटी पर विश्वास करे ना कि मेगापिक्सल पर.

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