'कोई मशीन से मेरा दिमाग कंट्रोल कर रहा..', सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अजीबोगरीब मामला, जज हैरान

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने याचिका दाखिल करते हुए दावा किया कि उसका दिमाग एक मशीन के जरिए नियंत्रित किया जा रहा है। इस याचिका को सुनकर जज साहब ने हैरानी जताई और इसे विचित्र बताया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई तरीका या कारण नहीं दिखता, और फिर याचिका को खारिज कर दिया।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने एक मशीन के जरिए उसके दिमाग को कंट्रोल करना शुरू कर दिया है। पहले, याचिकाकर्ता ने इसी मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, जिसमें उसने दावा किया कि कुछ लोग सेंट्रल फॉरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी (CFSL) से "ब्रेन रीडिंग मशीनरी" का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसने अदालत से इस मशीन को बंद करने का आदेश देने का अनुरोध किया था। 

हालांकि, CFSL और CBI ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता पर कोई भी फॉरेंसिक जांच नहीं की गई है, जिससे मशीन को बंद करने का सवाल ही नहीं उठता। इसके बाद हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में याचिका खारिज कर दी थी। इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता, जो पेशे से शिक्षक हैं, ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर 2024 को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता की परेशानी को समझने के लिए उनकी मातृभाषा में संवाद की व्यवस्था की जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) ने रिपोर्ट दी कि याचिकाकर्ता का मानना है कि उसके दिमाग पर नियंत्रण करने वाली मशीन को निष्क्रिय किया जाना चाहिए।

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