दुनिया भर में कई ऐसे किस्से जो एक बार सुन या देख लिए जाएं तो उनके बारें में कोई भी कभी भी नहीं भूल सकता है, इतना ही नहीं कई बार ऐसा होता है की लोग खौफनाक मंजर को कभी भूल ही नहीं पाते आज हम एक ऐसा ही किश आपके लिए लेकर आए है जिसके बारें में सुनने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे, आपकी भूख प्यास सब कुछ खत्म हो जाएगी. तो चलिए जानते है इस बारें में विस्तार से.... याद है 26 अक्टूबर 1965 का वो दिन, जब अमेरिका के इंडियाना में पुलिस को जानकारी प्राप्त हुई कि यहां Gertrude Baniszewski नाम की एक महिला के घर में 16 वर्ष की लड़की सिल्विया मैरी लाइकिन्स की डेड बॉडी पड़ी हुई है. गर्ट्रूड ने पुलिस को बताया कि सिल्विया पर कुछ बदमाश लड़कों ने अटैक करके उसका सामूहिक दुष्कर्म किया. फिर उसे कई टॉर्चर दिए, जिसके कुछ वक़्त बाद ही उसकी मौत हो गई. इतना ही नहीं गर्ट्रूड ने सिल्विया द्वारा लिखी एक चिट्ठी भी पुलिस को दी. जिसमें इस घटना के बारें में बारीकी से लिखा हुआ है. लेकिन जब पुलिस ने लाश को देखा तो उन्हें शक हुआ कि मामला नार्मल नहीं है बल्कि उससे भी बड़ा है. क्योंकि सिल्विया के शरीर पर जो चोट के निशान नजर आ रहे थे वे निशान इतने पुराने हो चुके थे कि उससे वक़्त का पता लगाना मुश्किल था. उसका शरीर इस कदर कमजोर हो गया था मानो उसने कई दिनों से एक भी अन्न का दाना न खाया हो. उसके हाथ के नाखुनों तक को नहीं छोड़ा गया. उसके शरीर पर जगह-जगह जलने तक के निशान मिले थे. ये तो कुछ भी नहीं था उसके शरीर पर किसी नुकीली चीज से लिखा था 'मैं एक वेश्या हूं. और मुझे इस पर गर्व है.' पुलिस ने जब इस केस की जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. आखिर क्या था ये पूरा केस चलिए जानते हैं... रिपोर्ट्स में इस बारें में जानकारी दी गई है कि 3 जनवरी 1949 को सिल्विया इंडियाना के लेबनान में जन्मी थी. वह गरीब परिवार के साथ रिश्ता रखती थी. घर में माता पिता के साथ-साथ सिल्विया के दो भाई और दो बहनें भी उसके साथ रहती थी. सिल्विया के पापा लेस्टर सिसिल लाइकिन्स एक फूड स्टॉल चला कर घर का भरण पोषण करते थे. अपनी गरीबी के कारण लेस्टर का उसकी पत्नी एलिजाबेथ और बेट्टी फ्रांसिस से हमेशा ही कलेश होता था. सिल्विया की बड़ी बहन का विवाह हो चुका था. जबकि, दो भाई डैनी और बिन्नी अपने दादा-दादी के साथ रहते थे. वहीं, सिल्विया अपनी छोटी बहन जेनी और अपने माता-पिता के साथ अपना जीवन बिता रही थी. रिपोर्ट्स से पता चला है कि जेनी सिल्विया से छोटी थी और शारीरिक रूप से अस्वस्थ थी. मात्र 15 वर्ष की आयु से ही सिल्विया ने अपनी जिम्मेदारी उठाने का फैसला ले लिया था. छोटी सी उम्र से ही उसने बेबी सिटिंग और कपड़े प्रेस करने का काम शुरू कर दिया जिससे उसकी इनकम हो जाती थी. इतना ही नहीं वर्ष 1965 में सिल्विया के माता-पिता ने आपसी झगड़ों के कारण परेशान होकर एक दूसरे से तलाक ले चुके थे. माता-पिता के तलाक के पश्चात दोनों बहनें मां के साथ ही जीवन जीने लगी. सिल्विया की मां की आर्थिक स्थिति इतनी भी अच्छी नहीं थी. आर्थिक तंगी के साथ दो बेटियों की जिम्मेदारी भी उसके कंधों पर थी. उसे ही निभाने के लिए उसने पैसा कमाने के लिए चोरी करने जैसे रास्ते को चुन लिया. एक बार वह चोरी करते हुए भी पकड़ा गई थी जिसकी वजह से उसे जेल भी जाना पड़ गया था. लेस्टर ने फिर गर्ट्रूड से इस केस के बारें में खुलकर बात की थी. तब उन्होंने कहा था कि वह इसके बदले हर हफ्ते उसे 20 डॉलर दिया करेंगे. गर्ट्रूड भी इसके लिए राजी हो गई. पहले 2 हफ्ते तो सब कुछ ठीक चलता रहा. लेकिन कुछ समय के बाद जब लेस्टर पैसे देने में लेट हो गए तो गर्ट्रूड ने अपना असली चेहरा दिखा दिया. उसने सिल्विया और जेनी की उस दिन इतनी पिटाई की कि उसे फिर इसका चस्का ही लग गया. इसके बाद से ही वो रोज उन्हें पीटने लग गया, इतना ही नहीं उसने उन दोनों बहनो को टॉर्चर करना भी शुरू कर दिया था, वह उनसे दिन भर काम करवाती और उनकी पिटाई करती थी. हद तो तब हो गई जब उसने उन्हें खाना तक देना कम कर दिया, कुछ दिन बाद गर्ट्रूड जेनी को छोड़ बस सिल्विया को ही मारती-पीटती और उसे टार्चर करती थी। इतना ही नहीं, मां की ऐसी हरकते देख अब पाउला भी सिल्विया को खूब मारती-पीटती. यहां तक कि पड़ोस के बच्चे भी मजे के लिए सिल्विया पर हमला करने लग गए थे. वे उसके चेहरे पर मुक्के तक बरसा देते थे. हद तो तब होती जब यही लोग उसे बाँध कर उसके कपड़े फाड़ देते थे. वहीं, गर्ट्रूड सिल्विया पर होने वाले इस अत्याचार के मजा लिया करती थी. वो इतनी निर्दयी थी कि वो लोगों और बच्चों को बुलाकर उनसे तक सिल्विया को मारने के लिए बोलती थी. एक बार तो पाउला ने सिल्विया को इतनी जोर से मुक्का मारा कि उसका खुद का हाथ तक पूरी तरह से टूट गया था. फिर जब उसे प्लास्टर लगा तो वह उस प्लास्टर से भी सिल्विया के पेट और चेहरे पर मुक्के मारती. इन सभी चीजों के बीच सिल्विया की मां के साथ साथ इसमें कई छोटे के बच्चों के भी नाम भी शामिल थे. लेकिन उन बच्चों की उम्र कम होने की वजह से उन पर किसी भी तरह का कोई केस नहीं बन पाता था, बल्कि कोर्ट भी उन बच्चो को समझकर छोड़ देती थी. वहीं 19 मई 1966 के दिन कोर्ट ने गर्ट्रूड को सिल्विया की मौत का जिम्मेदार ठहराया और उसे उम्रकैद की सजा दे दी गई. इस पूरे केस में पाउला को भी दोषी पाया गया और उसे भी उम्रकैद दे दी गई. बाकी बचे गुनहगार नाबालिग थे इसलिए जॉन, रिचर्ड और कॉय हबर्ड को 2 वर्ष से 21 वर्ष की सजा भी सुना दी गई थी . हालांकि, तीनों को 2 वर्ष जेल में बिताने के उपरांत आजाद कर दिया गया. गर्ट्रूड और पाउला ने 20 वर्ष जेल में काटने पड़े, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों को दिसंबर 1985 में जेल से पेरोल पर रिहा किया गया. इसके 5 वर्ष के पश्चात लंग कैंसर की बीमारी का सामना करते हुए गर्ट्रूड की मौत हो गई.