सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से पुकारा जाता है। जी हाँ और यह व्रत करवाचौथ के समान ही फलदायी माना जाता है। कहा जाता है इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं। आप सभी को बता दें कि सोमवती अमावस्या का व्रत 30 मई को रखा जाएगा। हालाँकि खास बात ये है कि यह इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या भी होगी। जी हाँ और हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल केवल दो ही सोमवती अमावस्या हैं। ऐसे में पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को थी और उसके बाद दूसरी सोमवती अमावस्या 30 मई के दिन होगी। जी हाँ और इसके बाद इस साल कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं पड़ेगी। इस वजह से इस सोमवती अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन व्रत और विधिवत पूजन बहुत ज्यादा फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या की पूजन विधि। सोमवती अमावस्या की पूजन विधि- सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं पीपल की पूजा करती हैं। जी दरअसल सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना करके कमजोर चंद्रमा को बलवान किया जा सकता है। केवल यही नहीं बल्कि इस दिन किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके अलावा गायत्री मंत्र का पाठ करें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें। इसके बाद पितरों का तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें। इसी के साथ पूजा-पाठ के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र का दान करें। इस दिन देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है। इस वजह से केदारनाथ यात्रा के बिना पूरी नहीं होती बद्रीनाथ धाम की यात्रा रात को अकेले शिवलिंग के पास करें यह गुप्त उपाय, भर जाएंगे धन के भंडार इन दो चीजों को गंगा नदी में बहाने से खत्म हो जाता है बुरी नजर का असर