भोपाल: आजादी के पहले कई वर्षों तक अपनी रियासतों में शासन करने वाले राज परिवारों का दबदबा आज भी कायम है। लोकतंत्र के रंग में रंग चुके इन रजवाड़ों ने प्रदेश की सत्ता में वर्षों से अपना रसूख कायम कर रखा है। चाहे सत्ता किसी भी हो लेकिन इनकी हमेशा तूती बोलती है, प्रदेश की सियासत में अहम भूमिका निभाने वाले महलों से निकले यह नेता बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में अहम किरदारों में हैं। बता दें कि इन्हीं राज परिवारों में से एक है सिंधिया परिवार, जिनका मध्य प्रदेश की राजनीति में खासा दबदबा है। मध्यप्रदेश चुनाव: कांग्रेस की बैरागढ़ सभा में बिजली ने खेली आंख-मिचौली, कमलनाथ ने शिवराज पर साधा निशाना वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया जहां कांग्रेस में प्रमुख भूमिका में है और अपने क्षेत्र सहित प्रदेश भर में दमखम झोंक रहे हैं। वहीं उनकी बुआ और शिवराज कैबिनेट की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया भी शिवपुरी से मैदान में उतरी हैं और अपने गढ़ को बचाने पूरी कोशिश में जुटी हुई हैं। यहां बता दें कि अपनी माँ के लिए यशोधरा के पुत्र खासतौर पर अमेरिका से लौट आये हैं और चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। बता दें कि दो पार्टियों में बंटा सिंधिया परिवार वैसे तो हमेशा एक रहता है, लेकिन चुनाव आते ही बुआ और भतीजे में दूरियां दिखाई देने लगती हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी बुआ के खिलाफ प्रचार भी करते हैं। मध्यप्रदेश चुनाव: राज्य के दो दर्जन से ज्यादा गांव में प्रचार के लिए नहीं जा पा रहे राजनेता, ये है वजह गौरतलब है कि राजनीति में सभी नेता अपनी अपनी तरह की राजनीति करते हैं। लेकिन उनमें से कुछ नेता ऐसे भी होते हैं। जो राजनीति दिमाग से करते हैं। हालांकि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और यशोधरा राजे एक दूसरे के खिलाफ सीधा हमला कभी नहीं करते हैं। यशोधरा को परिवार का पूरा सपोर्ट मिल गया है। वहीं अब उनके बेटे ने चुनाव की कमान संभल ली है, यशोधरा राजे सिंधिया के बड़े बेटे अक्षय भंसाली अपनी मां के चुनाव प्रचार के लिए अमेरिका से आ गए हैं। अक्षय अपनी मां के विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए गली-गली घूम रहे हैं और लोगों से मां के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। खबरें और भी मध्यप्रदेश चुनाव: भाजपा की बड़ी मुश्किलें, हार-जीत के समीकरण पर असर डाल सकते हैं पार्टी के बागी नेता मिजोरम विधानसभा चुनाव 2018: मुख्यमंत्री लल थनहवला लड़ रहे दो सीट से चुनाव मध्यप्रदेश चुनाव: राज्य में लगातार घटते जा रहे मुस्लिम नेता, आखिर क्या है वजह ?