कांग्रेस नेताओं को उम्मीद, पार्टी की डूबती नैया को पार लगाएंगी सोनिया

नई दिल्लीः राहुल गांधी को मनाने की तमाम कोशिशों के विफल होने के बाद कांग्रेस की कमान एक बार फिर पार्टी की सबसे लंबे अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा करने वाली सोनिया गांधी के हाथों में चला गया है। राहुल गांधी के इस्तीफे बाद पार्टी में अनिर्णय की स्थिति बन गई थी। किसी और नाम पर सहमति न बनने के बाद सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष चुनी गईं। पार्टी के एक धड़े का मानना है कि सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय अच्छा था और इस चुनौती भरे वक्त में कार्यकर्ताओं के जोश को बढ़ाएगा।

मगर कुछ अन्य लोगों का मानना है कि इस निर्णय ने गांधी परिवार पर कांग्रेस की निर्भरता की फिर से पुष्टि कर दी है और पार्टी को उस परिवार की छाया से निकलने में अभी समय लगेगा। एक सीनियर नेता का कहना है कि नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि यह परिवार के भीतर ही है। साथ ही पार्टी में आवाज उठने लगी है कि अध्यक्ष पद के लिए चुनाव शीघ्र ही कराए जाएं। पार्टी में जवाबदेही तय करने के साथ-साथ संगठन में आमूलचूल बदलाव की मांग भी उठने लगी है।

गौरतलब है कि पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के साथ ही राहुल गांधी ने भी यह बात कही थी। लोगों का यह भी मानना है कि नेतृत्व में बदलाव के बाद एक बार फिर से पुराने लोगों को पार्टी में महत्व मिलने लगेगा और राहुल गांधी के नेतृत्व में आगे आए युवाओं को पिछली पंक्ति में बैठना पड़ेगा। कांग्रेस नेताओं की यह आस इसलिए भी है क्योंकि अतीत में सोनिया सफल नेतृत्व का परिचय दे चुकी हैं। 1998 से 2017 तक पार्टी की कमान संभालने वालीं सोनिया गांधी के हिस्से में यूपीए के रूप में एक सफल गठबंधन चलाने का श्रेय है। उन्होंने ही बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को 2004 में हराने के लिए विपक्षी दलों को एकसाथ लाया था। पार्टी में आज भी उनकी पकड़ कायम है।

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