श्रीनगर: 50 वर्षों तक गणाधी परिवार के विश्वसनीय रहे दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने गत वर्ष राहुल गांधी को अपरिपक्व और बचकाना बताते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी। अब अपनी आत्मकथा में आज़ाद ने राहुल गांधी-सोनिया गांधी के साथ कांग्रेस के अन्य दिग्गजों को निशाने पर लिया है. आजाद ने अपनी आत्मकथा में कई ऐसे बड़े खुलासे किए हैं, जो हैरान कर देने वाले हैं. आज़ाद ने देश के सबसे पुराने सियासी दल कांग्रेस के साथ अपने सफर, शीर्ष नेताओं के साथ संबंध याद करते हुए अपनी आत्मकथा में कई खट्टे-मीठे अनुभव साझा किए हैं. ऐसा ही एक अनुभव उन्होंने वर्ष 2020 को लेकर साझा किया है, जब G23 नेताओं ने कांग्रेस हाईकमान को एक चिट्ठी लिखी थी. आत्मकथा में आजाद ने लिखा था कि वह चिट्ठी कांग्रेस के लिए एक वेकअप कॉल थी, ताकि पार्टी सुधारात्मक रवैया अपनाए, मगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने उसे पत्र को चुनौती समझा और वो किया, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. अपनी आत्मकथा में आजाद ने लिखा है कि हाईकमान को G-23 नेताओं ने जो पत्र लिखा था, उसमें कांग्रेस संचालन के तौर तरीकों में परिवर्तन लाने की बात कही गई थी. पार्टी को बताया गया था कि ये पतन की शुरुआत है, इसलिए बचाव की कोशिशें करनी होंगी। पत्र में पार्टी चुनाव कराने का नया तरीका बताया गया था. जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम आजाद ने लिखा है कि G23 नेताओं की तरफ से लिखा गए उस पत्र को कांग्रेस को वेकअप कॉल की तरह लेना चाहिए था, मगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने इसे अपने अधिकार के लिए एक चुनौती समझ लिया. सलाह मानना तो दूर हमें भाजपा का समर्थक तक बता दिया गया. उन्होंने लिखा हैं कि, 'अगर सच में हम भाजपा समर्थक होते, तो पत्र लिखने की आवश्यकता ही क्यों होती, हम चीजों को वैसे ही चलने देते जैसी चल रही थीं’ आजाद अपनी आत्मकथा में अपना दर्द भी जाहिर करते हैं, वह लिखते हैं कि सबको पता है कि मैंने हमेशा सरकार से अधिक संगठन को तरजीह दी है. इसके बाद भी उस पत्र के फ़ौरन मुझे महासचिव पद से हटा दिया गया. 40 वर्षों तक निरंतर मैं राष्ट्रीय स्टार प्रचारकों की सूची में रहा, मगर मुझे उस सूची से भी बाहर कर दिया गया. अपनी आत्मकथा में आज़ाद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश सहित अन्य नेताओं पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि इन लोगों ने G-23 में मेरी भूमिका पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने ‘द ग्रैंड ओल्ड पार्टी : ब्लोपर्स एंड बॉम्बैस्ट’ शीर्षक से इस संबंध में लिखा है. आज़ाद ने लिखा है कि ‘सलमान खुर्शीद ने एक लेख में G-23 नेताओं को ‘रिबेल्स विद ए कॉज’ बताया था. मैं दोहराना चाहूंगा कि हमने उस सीढ़ी को पैर नहीं मारा, जिससे हम शीर्ष तक पहुंचे थे.’ उन्होंने यह भी बताया कि कैसे संसद में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की घोषणा के बाद उन्होंने विपक्ष से विरोध करने को कहा था, मगर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इससे इन्कार कर दिया था और वह अपनी जगह पर जमे रहे थे. बजट सत्र: हंगामे के कारण अंतिम दिन भी नहीं चल पाई संसद! कांग्रेस बोली- हमें बोलने नहीं दिया.. 'हमें 2014 में अपनी ताकत का पता चला..', PM मोदी ने किया हनुमान जी का जिक्र, तो जयशंकर भी बोले 'कम पढ़े लिखे है तो इतना पैसा कहाँ से आता है तेजस्वी यादव के पास...', PK ने उठाए सवाल