लखनऊ: मोदी सरकार द्वारा सोमवार को आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण समुदाय के लोगों को 10 फीसद आरक्षण देने का ऐलान किया गया है. मोदी सरकार के इस ट्रम्प कार्ड के बाद से ही विपक्षी नेता बैकफुट पर दिखाई दे रहे हैं. इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान ने एक नई मांग की है. उत्तरप्रदेश के पूर्व मंत्री ने कहा है कि 10 फीसद में से 5 फीसद आरक्षण मुस्लिम समुदाय को दिया जाना चाहिए. उत्तराखंड सीएम ने पीएम मोदी को बताया 21वीं सदी का आम्बेडकर, खड़ा हुआ बखेड़ा उन्होंने कहा है कि आरक्षण पर सबसे अधिक हक़ मुस्लिमों का बनता है, क्योंकि उनके पास पांच गज जमीन भी नहीं है. उन्होंने सवाल किया है कि मुझे यह जानना है कि 10 प्रतिशत में से आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम समुदाय को कितना प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. आज़म खान ने कहा है कि एक बार फिर चुनाव के वक्त जाति कार्ड खेला गया है, अगर इस संवैधानिक बदलाव में मुस्लिम समुदाय के बारे में विचार नहीं किया जा रहा है, तो फिर इस आरक्षण का क्या तात्पर्य है. लोकसभा में पेश हुआ ट्रेड यूनियन संशोधन विधेयक, वामपंथी दलों ने जताया विरोध आपको बता दें कि सवर्ण समुदाय के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान 124वां संशोधन विधेयक मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया गया है. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने लोकसभा में संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक, 2019 प्रस्तुत किया है. विधेयक पेश होने के बीच सपा के कुछ सदस्य अपनी बात कहना चाह रहे थे, किन्तु लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उन्हें मंजूरी नहीं दी. खबरें और भी:- सीवीसी की सिफारिश पर दी गई थी सीबीआई निदेशक को छुट्टी- अरुण जेटली सवर्ण आरक्षण के मोदी सरकार के फैसले के बाद, सपा ने ओबीसी के लिए भी उठाई मांग सवर्ण आरक्षण मामले पर मोदी सरकार के समर्थन में आई मायावती, कही बड़ी बात