1. योगा स्वामी दामदेव को गाने गाने का बेहद शौक था. चाहे जब अल्हड़-फक्खड़, होकर बेसुरी आवाज में गाने लगते. . होली की तरंग में, कुछ-कुछ रंग में और कुछ-कुछ भंग में चले जा रहे थे गाते हुए 'मेहबूबा मेहबूबा ..... ' छपाक...!! एक नाले में गिर गए... अब उनकी कांपती आवाज आ रही थी....मैं डूबा, मैं डूबा.... 2. पति-पत्नी की लठ-मार होली एक घर से रमन और उनकी पत्नी निशा के हंसने की कुछ ज्यादा ही आवाजें आती रहती थीं. मोहल्ले के कई लोग एकत्र होकर उनके यहां खुशहाली का राज जानने पहुंचे. . मोहल्ले वालों की जिज्ञासा को शांत करते हुए रमन बोला : बहुत सरल है, हमारे यहां मेरी बीबी बेलन, चिमटा आदि फेंककर मारती है. हम लट्ठमार होली खेलते हैं... . . अगर मुझे लग जाता है तो वो हंसती और नहीं लगता है तो मैं हंसता हूं. 3. एक आदमी होली के दिन यूं ही ये गुनगुना रहा था,... 'घर में नहीं है पानी तो होली कैसे मनाऊ रे..!! घर में नहीं है पानी तो होली कैसे मनाऊ रे..!!' . . उसका ये गाना सुनकर पड़ोसी ने कहा, . पानी हो ना हो, होली तो मनाना चाहिए. उधार लेकर ही सही, साल में एक बार तो नहाना चाहिए. Examination Fever Missing Day Special भगवान कृष्ण लगाएंगे इस बार आयोध्या के गुलाल