रूढ़िवादिता.... कहने सुनने और बोलने में यह शब्द काफी शर्मिंदा कर देने वाला लगता है, वहीं जब यह शब्द खुद हमारे लिए, या हमारे देश के लिए या हमारे सामाज के लिए इस्तेमाल हो तो यह और भी शर्मनाक हो जाता है. लेकिन अफ़सोस यह एक कड़वा सच है कि हम रूढ़िवादी देश है, जहाँ अन्धविश्वास के नाम पर हम किसी की भी जिंदगी से मजाक करने से नहीं चूकते शायद यही चीज हमारे समाज में हम बचपन से देखते आए. बात कर रहे है उन लड़कियों की या उन महिलाओं की जिनकी शादी के जब उनका पति मर जाता है तो मर खत्म हो जाति है उस लड़की जिंदगी और खत्म हो जाता है उसका पूरा संसार. हम बात कर रहे उन जगहों की जहाँ पर विधवा हो जाना स्त्री के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य माना जाता है और समाज उन्हें हीन भावना से देखता है. यह रिवाज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई जगह आज भी मौजूद है. यह सभी तस्वीरें वृंदावन की है, उसी वृंदावन की जिसे हम कृष्णा के नाम से जानते है अफ़सोस यहाँ आज भी कई विधवाओं को छोड़ दिया जाता है. यह महिलाऐं अपनी पूरी जिंदगी यहाँ पर बिताती है, यहाँ आने के बाद कुछ समय बाद इनके सभी रिश्तेदार भी उसके पति के जैसे हो जाते है जो उसे छोड़कर काफी सालों पहले ही गुजर चूका है. Bosnia और Herzegovina दो ऐसी जगह जो मानवता को सबसे ज्यादा शर्मसार करती है. एक ऐसे समय में जब किसी महिला को माँ-बाप के बाद सबसे ज्यादा प्यारा लगने वाला पति मर जाता है तो उस महिला को भी समाज से अलग कर दिया जाता है. समाज से अलग करना फिर भी शायद कम प्रताड़ित करना होता होगा अगर हम तुलना करे यूगांडा की. यहाँ किसी भी महिला का पति मर जाने के बाद उस महिला को यह साबित करना होता है कि उसके पति को उसने नहीं मारा है. यही है हमारी ढोंगी समाज की सच्चाई है. इन तस्वीरों को देखने पर एक समय तक इंसान होने पर शर्म आती है और शर्म आती है उस समाज का हिस्सा होने पर जिस समाज में महिलाओं को आज भी उनके वो हक नहीं मिले जो उन्हें आजादी प्रदान कर सके. हर इंसान की जिंदगी में सबसे ज्यादा अहमियत अगर किसी चीज की है तो वो है आजादी है, अफ़सोस हम आज भी कुछ इंसानों को जानवरों सी जिंदगी जीने के लिए छोड़ देते है. समाज की इन रूढ़िवाद सोच के आगे शायद अब शब्द भी खत्म हो गए है. अच्छा तो यह होता है प्रधानमंत्री के बॉडीगार्ड्स के ब्रीफ़केस में 55 साल पुराने इस आइलैंड के बारे में सुनकर होगी हैरानी ये पोजीशन आपके सेक्स को बनाएगी और बेहतर