गुजरात में बैन स्पीड गवर्नर कंपनी रोजमार्टा बनी मप्र का सिरदर्द

भोपाल: सड़क और वाहन दुर्घटना को बढ़ता देख कमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के आदेश हुए, मगर अब इसे लेकर विवाद बढ़ने लगा है. स्पीड गवर्नर लगाने वाली कंपनी रोजमार्टा को गुजरात सरकार ने 29 जुलाई 2017 में बैन लगाकर स्पीड गवर्नर लगाने से मना कर दिया था और 5 जून 2017 के कंपनी को नोटिस थमाया देकर स्पीड गवर्नर के लिए जमा कराए गए स्र्पयों के संबंध में भी पूछताछ की गई थी, इससे पहले ही कंपनी ने मप्र में स्पीड गवर्नर लगाने का काम शुरू कर दिया था. वर्ष 2016 से मप्र में काम कर रही यह कंपनी लगातार वाहन मालिकों के परेशानी का सबब बनी हुई है. परिवहन विभाग इस मुद्दे का कोई स्थाई हल नहीं निकाल पा रहा है. वर्तमान में रोजमार्टा और गोदावरी नाम की दो कंपनियां स्पीड गवर्नर लगा रही हैं. इनमें से रोजमार्टा ने करीब 1600 और गोदावरी ने 325 तरह के स्पीड गवर्नर बेंचने के लिए कांट्रेक्ट लिया था. मालिकों को मुंहमांगी कीमत पर स्पीड गवर्नर लगवाना पड़ रहे हैं, सूत्र बताते हैं कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने वाली कंपनी लिंक उत्सव, रोजमार्टा और गोदावरी तीनों कंपनियों का पता (कापशेरा नई दिल्ली) एक ही है.

ये तीनों कंपनियां किसी एक व्यक्ति द्वारा ही संचालित की जा रही हैं. मुख्य सचिव परिवहन विभाग से इंद्रजीत सिंह गौर ने शिकायत की है कि डिफाल्टर कंपनियों को परिवहन आयुक्त द्वारा स्पीड गवर्नर डिवाइस लगाने के लिए परमीशन दी गई है. शिकायत में बताया गया है कि प्रदेश में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने वाली कंपनी लिंक उत्सव जिसे ब्लैक लिस्टेट किया गया है ये उसी से जुड़ी हुई है.

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि नियमों में फेरबदल कर रोजमार्टा कंपनी को फायदा पहुंचाया जा रहा है. कंपनी की जांच कराकर ब्लैक लिस्टेड करने और कार्रवाई करने की मांग भी शिकायतकर्ता ने की है. स्पीड गवर्नर केस में सुप्रीम कोर्ट ने दस राज्यों को सामान भी भेजा था. वही परिवहन विभाग के  प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने मामले पर कहा है कि शिकायत आने के बाद हमने एक कमेटी बनाकर जांच बैठा दी है. इससे विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी. 

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