विश्वव्यापी लॉकडाउन के बीच दुनियाभर में इस समय कोरोना वायरस (कोविड-19) की वैक्सीन बनाने की मानो रेस चल रही है. हर देश जल्द से जल्द वैक्सीन बना लेना चाहता है. वैसे तो ऐसे प्रोजेक्ट की संख्या सैकड़ों में है, लेकिन 86 प्रोजेक्ट दमदार माने जा रहे हैं. इनके शोधकर्ता वैक्सीन विकसित करने के अहम पड़ाव पर हैं. कुछ तो ह्यूमन ट्रायल के करीब पहुंच चुके हैं. महामारी का डट के मुकाबला कर रहे सीएम योगी, हिट हो रहा कोरोना मॉडल इस रिपोर्ट को लेकर इंडिपेंडेंट से मिली जानकारी के अनुसार इसे लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के वायरोलॉजिस्ट को एक चिंता भी है. यदि प्रायोगिक वैक्सीन में कुछ भी गलत हुआ तो हजारों-लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं. इसके अलावा लैब की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल कायम है. ब्रिटेन के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर सर पैट्रिक वालांसे भी इससे चिंतित हैं. शांता कुमार बोले, सभी धर्मो की संपत्ति का प्रयोग नर सेवा में होना चाहिए आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दुनियाभर में यदि सभी 86 प्रोजेक्ट ह्यूमन ट्रायल तक पहुंच गए तो आठ से नौ लाख लोगों पर प्रायोगिक वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा. ब्रिटेन में ही इनकी संख्या एक लाख तक हो सकती है, जहां ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन के साथ वैक्सीन विकसित करने में लगी हुई है. एक एक्सपर्ट ने बताया कि हमें वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए आगे आने वाले लोगों की वर्षों तक देखभाल करनी होगी, क्योंकि हमें नहीं पता कि इन वैक्सीन का क्या प्रभाव होने वाला है. कोरोना ने उड्डयन मंत्रालय को बनाया निशाना, एक अधिकारी की रिपोर्ट आई पॉजीटिव सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप पर सुप्रीम कोर्ट ने बोली यह बात पृथ्वी दिवस पर बोले पीएम मोदी, कहा- हम अपने ग्रह के प्रति आभार व्यक्त करते हैं.