श्रीलंका इस वक़्त गंभीर वित्तीय तथा मानवीय खतरों का सामना कर रहा है। यहां महंगाई रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गई है तथा कहा जा रहा है कि इसके चलते देश दिवालिया हो सकता है। इससे पूर्व बीते वर्ष 30 अगस्त को श्रीलंका की मुद्रा में तेज कमी तथा खाद्य पदार्थों के दामों में उछाल आने के पश्चात् यहां की सरकार ने राष्ट्रीय वित्तीय आपातकाल का ऐलान किया था। कोलंबो गजट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दशक के एक बड़े हिस्से के चलते श्रीलंका ने दोहरे घाटे का सामना कर रहा है। इसमें एक राकोजषीय घाटा तथा दूसरा कारोबारी नुकसान है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 के पश्चात् से श्रीलंका पर विदेशी कर्ज का स्तर भी निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। वर्ष 2019 में यह कर्ज देश की जीडीपी के 42.6 फीसदी पर पहुंच गया था। वही यहां के एडवोकेट इंस्टीट्यूट ने भारत में महंगाई के जो आंकड़े जारी किए हैं वो हैरान कर देने वाले हैं। बीते 1 महीने में यहां मंहगाई 15 फीसदी तक बढ़ी है। खाद्य पदार्थों की कीमतें तेज हुई हैं। आंकड़ों के मुताबिक यहां सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी हुई है। एक किलो हरी मिर्च यहां इस वक़्त 700 रुपये से अभी ज्यादा दाम पर बिक रही है। इसके दाम 287 फीसदी तक बढ़े हैं। इसके अतिरिक्त बैंगन के दामों में 51 फीसदी की तेजी आई है तो प्याज की कीमतें 40 फीसदी तक बढ़ी हैं। आयात की कमी के कारण यहां लोगों को मिल्क पाउडर तक नहीं प्राप्त हो पा रहा है। 79% अफगान पत्रकारों ने जीवित रहने के लिए अपना पेशा छोड़ दिया चीन में बढ़ा कोरोना का कहर, रद्द की गई कई उड़ाने उष्णकटिबंधीय चक्रवात कोडी ने फिजी के बुनियादी ढांचे पर कहर बरपाया