कोलंबो: श्रीलंका में उत्पन्न राजनीतिक संकट का समाधान नहीं निकलने के बाद राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने संसद को भंग कर दिया है, इसके साथ ही देश में मध्यावधि चुनाव होना तय हो गया है. राष्ट्रपति द्वारा रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद से राजनीतिक संकट पैदा हो गया था. राष्ट्रपति ने शुक्रवार को 225 सदस्यों वाली संसद को भंग करने संबंधी एक सरकारी अधिसूचना पर हस्ताक्षर करते हुए ये निर्णय लिया. श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा नहीें कराएंगे मध्यावधि चुनाव उल्लेखनीय है कि वर्तमान संसद का कार्यकाल अगस्त 2020 तक निर्धारित था, सिरिसेन द्वारा संसद भंग करने का फैसला लेने से कुछ घंटे पहले ही राष्ट्रपति के एक सहयोगी ने कहा था कि वर्तमान राजनीतिक और संवैधानिक संकट को खत्म करने के लिए मध्यावधि चुनाव या जनमत संग्रह नहीं कराए जाएंगे. विक्रमसिंघे ने दावा किया है कि वह अब भी कानूनी रूप से नियुक्त प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने सदन में बहुमत साबित कराने का आग्रह किया था लेकिन उनकी यह मांग नामंजूर कर दी गई थी. राजपक्षे को बहुमत जुटाने का अवसर देने के लिए संसद को बर्खास्त कर दिया गया था. अफगानिस्तान में गंभीर आतंकी हमले, 10 जवानों और 7 पुलिसकर्मियों की मौत संसद के प्रवक्ता कारू जयसूर्या ने विक्रमसिंघे को हटाए जाने और संसद को निलंबित किए जाने पर राष्ट्रपति की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने बीते सोमवार को राष्ट्रपति के इस कदम को अंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताया था. उन्होंने कहा था कि जब तक राजपक्षे सदन में बहुमत साबित नहीं कर देते तब तक उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा. खबरें और भी:- पिछले 14 सालों में अमेरिका ने ड्रोन हमलों से मार गिराए पकिस्तान के 2000 से अधिक आतंकी जूनियर विश्व चैम्पियनशिप: दक्षिण कोरिया से हारने के बाद भारत ने डेनमार्क पर दर्ज की जीत दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने वित्तमंत्री को किया निष्काषित