कांग्रेस ने भाजपा को स्थानीय निकाय चुनाव धीरे से दिया जोर का झटका, मिली करारी शिकस्त

राजनीतिक सरगर्मीयों के बीच राजस्थान में स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम ने अब तक शहरी और सवर्ण वोट बैंक पर कब्जा रखने वाली भाजपा के सामने एक सवाल खड़ा कर दिया है. यह सवाल शहरी और सवर्ण वोटों का भाजपा से छिटक कर कांग्रेस से जुड़ने का है. कांग्रेस को इन चुनाव में उम्मीद से अधिक सफलता मिली है.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस ने भाजपा के शहरी आधार को जोर का झटका धीरे से दिया है. इन 49 शहरी निकाय चुनावों में कांग्रेस 35 निकायों में अपना बोर्ड बनाने में कामयाब रही है, तो देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा मात्र 13 निकायों में ही अपनी जीत दर्ज करा सकी है. शेष एक बोर्ड निर्दलीय के खाते में गया है. वार्ड पार्षद के लिहाज से कांग्रेस का 961 और भाजपा 737 वार्डों पर कब्जा हुआ. हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद राजस्थान की शहरी सरकार के चुनावों में कांग्रेस को मिले इस समर्थन से कांग्रेस खेमे में खुशी का माहौल है. कांग्रेस इसे अशोक गहलोत सरकार के काम पर मतदाताओं की मुहर मान रही है.

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इस मामले को लेकर राजनीति के जानकारों का मानना है कि गरीब सवर्णों को आरक्षण में जमीन और भूखंड जैसी जटिल शर्तों को खत्म करने का गहलोत सरकार का फैसला इन चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा. इन दोनों शर्तों के चलते गरीब सवर्णों को काफी परेशानी होती थी. इस फैसले का फायदा कांग्रेस को हुआ है.

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