राजस्थान में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण, मात्र दो माह में बन गए इतने सर्टिफिकेट

भारत के राज्य राजस्थान में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों (ईडब्लयूएस) के 10 फीसदी आरक्षण को लेकर दो माह में 1.33 लाख सर्टिफिकेट बन गए. इतनी बड़ी संख्या में सर्टिफिकेट बनना अपने आप में रिकॉर्ड है.राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने 18 अक्टूबर को आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को दिए जाने वाले 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण से संपति संबंधी प्रावधान हटाने को लेकर निर्णय लिया था.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गहलोत सरकार के इस फैसले से गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियां सहित अन्य सुविधाओं में लाभ मिलने की उम्मीद बंधी है. इसी का परिणाम है कि मात्र दो माह में इतनी बड़ी संख्या में ईडब्लयूएस के सर्टिफिकेट बने हैं. इसके साथ ही जिला रोजगार कार्यालयों में सवर्ण वर्ग के युवाओं के रजिस्ट्रेशन में भी बढ़ोतरी हुई है. गहलोत सरकार के इस फैसले को सवर्ण वर्ग के युवाओं के लिए गेमचेंजर माना जा रहा है. सरकार ने अब नई भर्तीयों में इस वर्ग के लिए अलग से पदों का प्रावधान करने का निर्णय लिया है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गहलोत सरकार का यह फैसला उनके सालभर के कार्यकाल में राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है. इस फैसले ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को जहां सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने का काम किया है, वहीं दूसरी तरफ इस वर्ग के बीच सीएम की छवि को मजबूत किया है. राजस्थान में इस फैसले के बाद अब ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए केवल 8 लाख रुपए से कम आय ही पात्रता का मापदंड है. स्थानीय निकाय चुनाव से पहले लिए गए सीएम अशोक गहलोत के इस फैसले का सीधा असर निकाय चुनाव परिणामों में देखने को मिला है. कांग्रेस को स्थानीय निकाय चुनाव में काफी फायदा मिला.

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