नई दिल्लीः राज्य की बिजली कंपनियां भारी घाटे के कारण अक्सर चर्चे में रहती है। इस कारण बिजली की व्यवस्था को बनाए रखने में समस्या खड़ी होती है। केंद्र सरकार ने सबको बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जरूरी है कि इन बिजली कंपनियों को घाटे से उबारा जाए। सरकार इसके लिए कई योजना लाई। इनकी वित्तीय हालत सुधारने के लिए बीते सात वर्षो में दो बार विशेष योजनाएं लागू की गईं। और स्थिति यह है कि अभी भी ये ना तो ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) में होने वाली हानि को रोकने में सफल हो पाई हैं और ना ही हर बिजली ग्राहक से बिजली की उचित कीमत वसूलने का काम हो पा रहा है। नतीजा यह हुआ है कि बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाए की राशि बढ़ती जा रही है। हालात में कोई बदलाव नहीं आता देख केंद्र सरकार एक बार फिर उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना) को नए क्लेवर में लागू करने जा रही है। उदय-2 के लागू होने के बाद डिस्कॉम अगर समय पर बिजली उत्पादक कंपनियों के बिल का भुगतान नहीं कर सकेंगे तो उन पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया जा रहा है। बिजली मंत्रलय के प्राप्ति पोर्टल पर दी गई सूचना के मुताबिक इस वर्ष जुलाई में डिस्कॉम्स यानी बिजली वितरण कंपनियों पर सभी बिजली उत्पादन कंपनियों के 73,748 करोड़ रुपये बकाया हैं। यह बीते साल जुलाई के मुकाबले 57 फीसद ज्यादा है। राज्य की बिजली कंपनियां अक्सर राज्य की सरकारों द्वारा बिजली माफ जैसी योजनाओं का शिकार होती है। प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों के लिए यह सेक्टर बना पहली पसंद अमित शाह का विपक्ष पर हमला, अर्थव्यवस्था को लेकर दिया यह बयान लगातार तीसरे दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी, जाने नई कीमत