नई दिल्ली: असम में हुई एनआरसी जांच के बाद जारी हुए आंकड़ों ने सियासत में खलबली मचा दी है. ड्राफ्ट में नाम न होने के कारण 40 लाख लोगों पर भारतीय नागरिक न होने का संदेह पैदा हो गया है. जिसे लेकर सियासत दो हिस्सों में बात गई है.एक दल है जो उन्हें भारतीय नागरिक बताते हुए, उनके भारत में रहने का समर्थन कर रहा है, वहीं दूसरा दल उन्हें घुसपैठिए बताकर उन्हें देश से निष्काषित करने का सुझाव दे रहा है. क्या है एनआरसी और क्यों पड़ी इसकी जरूरत ? संसद में तो इस मुद्दे पर हंगामा हो ही रहा है, लेकिन सांसद से इतर भी राजनेता इस मुद्दे पर बयानबाज़ी कर रहे हैं. हाल ही में बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार को घेर ते हुआ कहा है कि असम में ये 40 लाख लोग कई सालों से रह रहे हैं, अगर उनके पास दस्तावेज नहीं है तो क्या आप उन्हें देश से निकाल देंगे. EDITOR DESK: नागरिकता पर सवाल उठाकर राजनीति चमकाने की कोशिश वहीं हैदराबाद से बीजेपी विधायक राजा सिंह ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि, 40 लाख घुसपैठिये बांग्लादेश से आए हैं, उन्हें वापिस भेज देना चाहिए और अगर वे वापिस न जाएं तो उन्हें गोली मार देनी चाहिए. राजा सिंह से पहले ही पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष कह चुके हैं कि अगर उनकी सरकार आती है तो असम की तरह ही बंगाल में भी NRC को लागू करेंगे. खबरें और भी:- राजीव गाँधी लाए थे NRC, पर कांग्रेस लागु नहीं कर पाई- अमित शाह असम के बाद, अब पश्चिम बंगाल पर लटकी NRC की तलवार सदन लाइव: असम एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर टीएमसी का विरोध प्रदर्शन