'राज्य लेंगे मेडिकल एंट्रेंस की परीक्षा..', कर्नाटक सरकार ने भी NEET के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव, बंगाल-तमिलनाडु में भी विरोध

बैंगलोर: अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) के खिलाफ आवाज उठाते हुए सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आज गुरुवार (25 जुलाई) को राज्य सरकार के दोनों सदनों में परीक्षा के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। इसके साथ ही कांग्रेस सरकार ने केंद्र से मांग की है कि वह कर्नाटक में मेडिकल प्रवेश के लिए राज्य को CET की पुरानी प्रणाली पर वापस लौटने की अनुमति दे।

NEET परीक्षा में खामियों और हाल की अनियमितताओं की ओर इशारा करते हुए प्रस्ताव में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि वह कर्नाटक राज्य को इस परीक्षा से छूट दे और उसे राज्य सरकार द्वारा आयोजित सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने की अनुमति दे। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री डॉ. शरण प्रकाश पाटिल ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया, जबकि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने इसे विधान परिषद में पेश किया।

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि, "NEET परीक्षा प्रणाली गरीब ग्रामीण छात्रों के चिकित्सा शिक्षा अवसरों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और राज्य सरकारों के राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को प्रवेश देने के अधिकारों से वंचित करती है और NEET परीक्षा में बार-बार होने वाली अनियमितताओं को देखते हुए, केंद्र सरकार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 (केंद्रीय अधिनियम 30, 2019) में आवश्यक संशोधन करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय स्तर पर नीट प्रणाली को समाप्त किया जा सके। साथ ही, कर्नाटक विधान परिषद सर्वसम्मति से आग्रह करती है कि केंद्र सरकार को तुरंत कर्नाटक राज्य को परीक्षा से छूट देनी चाहिए और राज्य सरकार द्वारा आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) के आधार पर मेडिकल प्रवेश प्रदान करना चाहिए।" 

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि, "चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. शरण प्रकाश पाटिल लगातार NEET परीक्षा का विरोध कर रहे हैं और इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को उजागर कर रहे हैं तथा कह रहे हैं कि यह प्रणाली वंचित और ग्रामीण छात्रों के अवसरों और उनके चिकित्सा पेशे के सपने को कैसे प्रभावित कर रही है।" इससे पहले बुधवार को पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें NEET को खत्म करने और अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा इस तरह की परीक्षा आयोजित करने की पिछली प्रणाली को बहाल करने की मांग की गई था।  

बता दें कि, मंगलवार, 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 परीक्षा रद्द करने से इनकार कर दिया था, यह महसूस करते हुए कि वर्तमान वर्ष के लिए नए सिरे से NEET-UG के लिए निर्देश देना इस परीक्षा में शामिल होने वाले 24 लाख से अधिक छात्रों के लिए गंभीर परिणामों से भरा होगा। शीर्ष अदालत नीट-यूजी 2024 के परिणाम वापस लेने और परीक्षा नए सिरे से आयोजित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें परीक्षा में पेपर लीक और गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, व्यापक पेपर लीक के कोई सबूत नहीं मिले हैं, एक दो सेंटर पर गड़बड़ी हुई है, जिसके लिए सभी 24 लाख छात्रों को वापस परीक्षा देने के लिए नहीं कहा जा सकता ।   

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