ग्वालियर: MP के ग्वालियर उच्च न्यायालय का अनोखा फैसला सुर्ख़ियों में बना हुआ है। एक परिवार को टूटने से बचाने के लिए अदालत ने पहल की है। अदालत की एकल पीठ के आदेश पर अब पति को एक महीने तक ससुराल में रहना होगा। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ससुराल पहुंचिए एवं खीर-पूड़ी खाएं। आपको बता दें कि ग्वालियर के सेवा नगर निवासी एक महिला ने अपने 2 वर्षीय बेटे को वापस लेने के लिए उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। उसने कहा कि पति की प्रताड़ना से परेशान होकर ससुराल छोड़ना पड़ा था। उसका 2 वर्ष का बच्चा पति, सास ससुर एवं देवर के कब्जे में है। तर्क दिया कि बच्चे का लालन-पालन मां के हाथ में अच्छा है। अदालत ने पति को बच्चे के साथ बुलवाया। साथ ही याचिकाकर्ता के माता-पिता भी सुनवाई के चलते उपस्थित रहे। प्रतिवादी की तरफ से पैरवी अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने की। अदालत में याचिकाकर्ता ने अपने बच्चे को गोद में लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो बच्चे से पास आने से मना कर दिया। पति ने पत्नी के इल्जामों का जवाब देते हुए कहा कि एक वर्ष पहले लड़-झगड़कर ससुराल से भाग आई थी। बच्चों को भी छोड़ आई थी। पति ने बताया कि मैं बेहतर तरीके से बच्चे की एक वर्ष से देखभाल कर रहा हूं। पत्नी को साथ ले जाने के लिए भी तैयार हूं तथा उसकी अच्छे से देखभाल करूंगा। मगर पत्नी ने साथ जाने से इंकार कर दिया कि वह ससुराल जाती है तो उसके साथ मारपीट हो सकती है। सुनवाई के चलते याचिकाकर्ता के माता-पिता उपस्थित थे, उन्होंने अपने दामाद को अपने घर ले जाने की मंजूरी मांगी। इस कदम का अदालत ने स्वागत कर दिया। अदालत ने कहा कि एक माह तक पति बच्चे के साथ ससुराल में रहे। परिवार को फिर से जोड़ने का प्रयास करे। ससुराल वालों को भी बताया कि जमाई से ठीक से पेश आएं। 23 मार्च को याचिका पर फिर से सुनवाई होगी। पति-पत्नी को अपने अनुभव अदालत को बताने होंगे। बड़ी चेतावनी: इस तारीख से शुरू होगी कोरोना की चौथी लहर 'मन की बात' में बोले PM मोदी- 'भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है...' चोरी हुईं मूर्तियों को लेकर बोले PM मोदी- 'भारत 200 से अधिक कीमती मूर्तियों को वापस लाया'