'महाराष्ट्र के साथ अन्याय बंद करें...', सामना के जरिए शिवसेना ने बोला PM मोदी पर हमला

मुंबई: सामना अखबार के माध्यम से शिवसेना ने पेट्रोल-डीजल पर वैट का मसला उठाया है शिवसेना ने कहा कि केंद्र सरकार महाराष्ट्र के साथ अन्याय करना बंद करे बता दें कि कोरोना वायरस के मामले बढ़ने पर चौथी लहर की संभावना को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ वक़्त पहले सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा की थी इस के चलते टीकाकरण, ऑक्सीजन की उपलब्धता तथा अस्पतालों की तैयारियों पर चर्चा हुई किन्तु अखबार का दावा है कि इस बैठक में गैर भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को 'ताना' मारा गया

वर्तमान में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 100 रुपये से ज्यादा हो गई हैं कांग्रेस के शासन में पेट्रोल के दाम 70 रुपए लीटर हुए थे तो बीजेपी हंगामा करते हुए महंगाई के खिलाफ सड़क पर उतर आई थी उस वक़्त नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तब उन्होंने सवालों की बौछार करते हुए बोला था कि 'पीएम महंगाई पर बोलते क्यों नहीं? वे चुप क्यों हैं?' अब मोदी कैबिनेट के सदस्य महंगाई का समर्थन करते हैं तथा प्रश्न पूछते हैं कि मोदी क्या पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने के लिए पीएम बने हैं? अखबार के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी एक वैश्विक समस्या है, किन्तु मनमोहन सिंह के पीएम रहने के समय भी पेट्रोल-डीजल आज की ही भांति वैश्विक दिक्कत थी प्रधानमंत्री मोदी ने 'कोरोना' की चर्चा में ईंधन दर बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया था प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया था कि विपक्षी दलों की सरकार वाले प्रदेश पेट्रोल-डीजल से 'वैट' कम करें 

सामना में बताया गया है कि यूपी समेत 5 प्रदेशों के चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने तेल की कीमतों में 5 रुपये की कमी की थी, लेकिन चुनाव जीतने के बाद 10 रुपयों की भारी वृद्धि कर दी केंद्र को महाराष्ट्र पर अन्याय बंद करना चाहिए देश के सकल कर में महाराष्ट्र का भाग 383 प्रतिशत है, मगर टैक्स की मुफ्त 55 प्रतिशत रकम ही रिटर्न में मिलती है देश को सर्वाधिक राजस्व महाराष्ट्र ही देता है फिर भी प्रदेश के अधिकार के GST का बकाया 26 हजार 500 करोड़ रुपए केंद्र सरकार दे नहीं रही है जिन प्रदेशों में बीजेपी के सीएम नहीं हैं, उन प्रदेशों से केंद्र की मोदी सरकार बैर वाला बर्ताव कर रही है ममता बनर्जी ने भी मोदी के बर्ताव पर आक्रोश जताया है सामना अखबार के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी हर मामले में प्रदेशों को जिम्मेदार ठहराते हैं पेट्रोल-डीजल की दरों में वृद्धि, कोयले की कमी, ऑक्सीजन के अभाव के लिए प्रधानमंत्री ने प्रदेशों को जिम्मेदार ठहराया है मोदी सरकार ने 8 वर्षों में पेट्रोल-डीजल के जरिए 26 लाख करोड़ जमा किए हैं मनमोहन के कार्यकाल में कच्चा तेल 140 डॉलर प्रति बैरल था फिर भी पेट्रोल का दाम 75 रुपए से अधिक नहीं हुआ जबकि मोदी सरकार 30 से 100 डॉलर की कीमतों में कच्चा तेल खरीद रही है, मगर ईंधन के दाम 100 रुपये के पार पहुंच गए है सामना के अनुसार, बैठक में चर्चा एकतरफा ही थी मुख्यमंत्रियों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर ही नहीं दिया गया ममता बनर्जी बोलती हैं कि कोरोना के हालातों का निरीक्षण लेने के लिए बैठक का आयोजन किया गया था किन्तु प्रधानमंत्री ईंधन दर वृद्धि पर क्यों बोलते रहे? प्रधानमंत्री मोदी को इसे टालना चाहिए था बंगाल ने पिछले 3 सालों में ईंधन दर वृद्धि को नियंत्रित रखने के लिए 1500 करोड़ रुपए खर्च किए यह केंद्र को क्यों नजर नहीं आता? 

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