अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं इससे पहले वो एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं और सरकारी कामकाज़ में अधिक पारदर्शिता लाने के लिये संघर्ष किया. भारत में सूचना अधिकार अर्थात सूचना कानून (सूका) के आन्दोलन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाने, सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने और सबसे गरीब नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये सशक्त बनाने हेतु उन्हें वर्ष 2006 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1995 में, अरविंद ने 1993 के बैच के आईआरएस अधिकारी सुनीता से शादी की. उन्होंने आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल में आयकर आयुक्त के रूप में 2016 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली. इस युगल के दो बच्चे हैं,केजरीवाल शाकाहारी हैं और कई वर्षों से विपश्यना ध्यान तकनीक का अभ्यास कर रहे हैं. उन्होंने आम आदमी पार्टी के नाम से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की. अरविंद केजरीवाल का जन्म 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ और उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. बाद में, 1992 में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया. शीघ्र ही, उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है. अपनी अधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने, भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम शुरू कर दी. प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जनवरी 2000 में, उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन-परिवर्तन की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है. इसके बाद, फरवरी 2006 में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ 'परिवर्तन' में ही काम करने लगे. सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया, दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया.अरविन्द को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन 'इस वर्ष का भारतीय' के लिए नामित किया गया. उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी, जो अब "अण्णा टोपी" भी कहलाने लगी है, पहनी थी. उन्होंने टोपी पर लिखवाया, "मैं आम आदमी हूं." आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा अरविंद केजरीवाल एवं लोकपाल आंदोलन के बहुत से सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित स्थानीय जंतर मंतर पर की गई. 2013 के दिल्ली विधान सभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा जहां उनकी सीधी टक्कर लगातार 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री रही श्रीमती शीला दीक्षित से थी. उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया. नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में धमाकेदार प्रवेश किया. आम आदमी पार्टी ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में फरवरी 2015 के चुनावों में उनकी पार्टी ने 70 में से रिकॉर्ड 67 सीटें जीत कर भारी बहुमत हासिल किया.14 फरवरी 2015 को वे दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए. मुख्यमन्त्री बनते ही पहले तो उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटायी, बिजली की दरों में 50% की कटौती की घोषणा कर दी, भूतपूर्व व वर्तमान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा व वीरप्पा मोईली तथा भारत के सबे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी व उनकी कम्पनी रिलायंस के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिये. लोकपाल बिल भी एक प्रमुख मुद्दा रहा जिस पर उनका दिल्ली के लेफ्टिनेण्ट गवर्नर, विपक्षी दल भाजपा और यहाँ तक कि समर्थक दल काँग्रेस से भी गतिरोध बना रहा. लोकपाल मुद्दे पर हुए आंदोलन से ही अरविन्द पहली बार देश में जाने गये थे. उन्हें कई अवार्ड भी मिले - 2004: अशोक फैलो, सिविक अंगेजमेंट 2005: 'सत्येन्द्र दुबे मेमोरियल अवार्ड', आईआईटी कानपुर, सरकार पारदर्शिता में लाने के लिए उनके अभियान हेतु 2006: उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड 2006: लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन, 'इन्डियन ऑफ़ द इयर' 2009: विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए आईआईटी खड़गपुर 2013 : अमेरिकी पत्रिका 'फॉरेन पॉलिसी' द्वारा 2013 के 100 'सर्वोच्च वैश्विक चिन्तक' में शामिल 2014 : प्रतिष्ठित "टाइम" मैगज़ीन द्वारा "विश्व के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति" के रूप में शामिल पांच प्रमुख नेताओं में शुमार देश की कमान को अपनों में हाथों में थामे कभी सत्ता में तो कभी विपक्ष के रूप में ये नेता बदस्तूर सियासत में अपना दखल रखते आये है. देश के पांच प्रमुख नेताओं की निजी जिंदगी से लेकर भारतीय राजनीती के गलियारों में उनके ऊंचे कद तक का ये सफर समय के साथ साथ कई उतार-चढ़ाव से भरा है. दूर से शानो शौकत से भरी दिखने वाली इन पांच प्रमुख नेताओं की जिंदगी इतनी भी आसान और सुगम नहीं है जितनी की दिखाई देती है. हमारी इस खास रिपोर्ट में कोशिश रही है कि देश के पांच प्रमुख नेताओं के जीवन के कुछ अनछुए पहलु भी आप तक पहुचाये जाये.