नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज पुण्यतिथि है। बात ठीक 76 वर्ष पूर्व 18 अगस्त 1945 की है। जापान द्वितीय विश्व युद्ध पराजित हो चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े हुए थे। इसे देखते हुए उन्होंने रूस से सहायता मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त 1945 को उन्होंने मंचूरिया की ओर उड़ान भरी। इसके पश्चात् किसी को फिर वो नजर नहीं आए। 5 दिन पश्चात् टोक्यो रेडियो ने खबर दी कि नेताजी जिस विमान से जा रहे थे वो ताइहोकू एयरपोर्ट के पास क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में नेताजी बुरी तरह से जल गए। ताइहोकू सैनिक हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया। उनके साथ विमान में सवार बाकी व्यक्ति भी मारे गए। आज भी उनकी अस्थियां टोक्यो के रैंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं। वही नेताजी के देहांत के 76 वर्ष पश्चात् भी उनकी मौत रहस्य बनी हुई है। उनकी मौत का सच जानने के लिए तीन कमेटियां बनीं। दो ने कहा- नेताजी की मौत विमान क्रैश में हुई। 1999 में तीसरा आयोग मनोज कुमार मुखर्जी के नाम पर बना। इस आयोग की रिपोर्ट में ताइवान सरकार के हवाले से बताया गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश की घटना ही नहीं हुई। इस प्लेन क्रैश का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट को कबूल नहीं कर दिया था। नेताजी के निधन के पश्चात् भी देश के कई क्षेत्रों में उनको देखे जाने के दावे किए जाते रहे। फैजाबाद में गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ में उनको देखे जाने की जानकारियां आईं। छत्तीसगढ़ में ये केस राज्य सरकार के पास गया, मगर सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। जिन गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा किया जाता है, उनके देहांत के पश्चात् उनके पास से नेताजी के परिवार की फोटोज, पत्र-पत्रिकाओं में छपे नेताजी से संबंधित लेख, कई अहम लोगों के पत्र, नेताजी की कथित मौत के मामले की तहकीकात के लिए गठित शाहनवाज आयोग एवं खोसला आयोग की रिपोर्ट जैसी चीजें प्राप्त हुई। यूपी जनसँख्या नियंत्रण कानून: एक बच्चे वाले को 'गोल्ड' तो दो वाले को मिलेगा 'ग्रीन कार्ड' जेपी नड्डा ने कांग्रेस नेता पर निशाना साधते हुए कहा- "राहुल गांधी केरल में राजनीतिक पर्यटन पर हैं" क्या कांग्रेस से उत्कृष्ट सियासी मंच है TMC ? सुष्मिता देव के बयान पर उठा सवाल