ज्योतिष शास्त्र ही नहीं बल्कि अन्य शास्त्रों में भी यह कहा गया है कि मनुष्य को न तो सांसारिक बंधन में ही फंसना चाहिए और न ही विषय वासना के वश में होकर ईश्वर प्राप्ति का मार्ग छोड़ना चाहिए। कहा गया है कि स्त्री, धन, पुत्र, पशु, भूमि, हाथी, खजाना ये सभी नाशवान और चलायमान है। इनमें ममता रखना भूल है। एक मात्र भगवान की भक्ति से प्राप्त मोक्ष ही अक्षय और सर्वश्रेष्ठ होता है। ज्योतिष शास्त्र यह कहता है कि मनुष्य को अपने कर्म के साथ ही ईश्वर पर भी भरोसा रखना होगा, इसलिए मनुष्यों को भगवान की भक्ति में लगना चाहिए। क्योंकि भक्ति के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को कभी न तो संकट ही सताते है और न ही किसी तरह का दुःख ही समक्ष में आता है। इसी तरह उपदेश यह भी दिया गया है कि भगवान की खोज करना और राज्य पद की प्राप्ति की इच्छा रखना ये दोनों एक साथ नहीं मिलते है। प्रभु की नौ शक्तियां...जो करती है भाग्य का निर्माण ये ही है सनातन धर्म के प्रतीक