MP का ऐसा गांव, जहां नवरात्रि में मां दुर्गा नहीं, रावण की होती है पूजा

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से एक अनोखी घटना सामने आई है यहाँ एक गांव में, जहां नवरात्रि के अवसर पर एक ओर लोग मां दुर्गा की आराधना करते हैं, वहीं दूसरी तरफ आदिवासी समुदाय के लोग रावण की पूजा करते हैं। यह आदिवासी समुदाय जमुनिया गांव में रहता है तथा नवरात्रि के चलते मां दुर्गा के बजाय रावण की पूजा करता है।

आदिवासी समुदाय के लोग रावण की पूजा के लिए बाकायदा पंडाल लगाकर उनकी प्रतिमा स्थापित करते हैं। वे बड़े श्रद्धा एवं आस्था के साथ रावण की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि रावण उनके पूर्वज हैं, इसलिए वे उसकी प्रतिमा स्थापित कर उसकी पूजा करते हैं। आदिवासी समुदाय ने बताया कि वे रामायण वाले रावण की पूजा नहीं करते, बल्कि अपने पूर्वज के रूप में रावण की पूजा करते हैं। उनके अनुसार, रावण भगवान महादेव के भक्त थे तथा इस कारण से भी वे उनके लिए पूजनीय हैं। साथ ही, आदिवासी समुदाय सभी धर्मों का सम्मान करता है। वे मां दुर्गा की पूजा समाप्त होने के पश्चात् अपने पंडाल में रावण की पूजा करते हैं।

आदिवासियों ने बताया कि उनके पूर्वज वर्षों से शिव भक्त रावण की पूजा करते आ रहे हैं तथा वे अपनी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के चलते वे रावण की पूजा करते हैं। उनके अनुसार, भगवान महादेव सदैव से ही आदिवासियों के देवता रहे हैं तथा रावण एक महान विद्वान थे। वे रावण को एक ज्ञानी व्यक्ति के रूप में भी पूजते हैं। आदिवासी समुदाय दशहरा के मौके पर रावण दहन का विरोध करता है। इसके लिए उन्होंने कई बार सरकार से अपील की है कि रावण दहन बंद किया जाए। उनका तर्क है कि वे रावण की प्रतिमा स्थापित करते हैं, इसलिए रावण दहन पर रोक लगाई जानी चाहिए। आदिवासी समुदाय रावण के पुत्र मेघनाथ की भी पूजा करता है तथा नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक रावण की आराधना करता है।

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