आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में लंबी यात्रा करके घर आने वाले अतिथि का महत्व समझाने का प्रयास किया है. सनातन धर्म से जुड़ी मान्यताओं के मुताबिक, घर आने वाला मेहमान को किसी देवता के समान कहा गया है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को अपने घर में आने वाले अतिथि का खूब सम्मान करना चाहिए. आचार्य चाणक्य बताते हैं कि बिना किसी स्वार्थ आपके घर आए मेहमान की पूजा कि बिना कभी स्वामी को भोजन नहीं करना चाहिए. यदि अतिथि की बिना पूजा किए घर का स्वामी स्वयं भोजन कर लेता है, उसे निश्चय ही चंडाल कहा जाता है. आचार्य चाणक्य के मुताबिक, गृहस्थ को चाहिए कि दूर से आने वाले अतिथियों का आदर-सत्कार करे. आचार्य चाणक्य के मुताबिक, अतिथि की उपेक्षा करना पाप कर्म है. ऐसा करना एकदम ठीक नहीं माना गया है. चाणक्य के मुताबिक, शास्त्रों में अतिथि की सेवा का विधान है. इसलिए अतिथि को बिना सेवा किए रवाना नहीं करना चाहिए. आचार्य चाणक्य के मुताबिक, यदि आप अतिथि को बिना सेवा किए ही रवाना कर देते हैं तो शास्त्रों के मुताबिक यह ठीक नहीं है. सुबह के सपने में दिखें ये चीजें, तो समझ जाइये आने वाली है खुशियां शाम को कितनी बजे घर आती हैं मां लक्ष्मी? यहाँ जानिए घर पर दिखने लगे ये 5 अशुभ संकेत, तो समझ जाइये धन कुबेर है नाराज