नई दिल्ली : मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम संगठन जमीयत के बाद अब सूफी संगठन ने कहा है कि दंगों के कारण मुसलमानों में डर का माहौल है, सरकार को जल्द से जल्द इसका उन्मूलन करना चाहिए। संगठन ने पीएम नरेंद्र मोदी से भारत में हुए ऐतिहासिक भूलों को भी सुधारने की अपील की है। इन भूलों से अतिवादी विचारधाराओं ने अपनी जगह बनाई, जिससे सूफी समुदाय को खतरा है। अखिल भारतीय उलेमा एवं मशेख बोर्ड ने दुनिया भर की सरकारों से आग्रह किया कि वे सूफी धर्म को पुनर्जीवित करें ताकि आतंकवाद से लड़ा जा सके। सूफी मंच के बैठक के समापन पर संगठन ने 25 सूत्री घोषमा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र में कहा गया है कि सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताना चाहिए कि देश के विभिन्न हिस्सों में अब तक हुई सभी छोटी या बड़ी सांप्रदायिक घटनाओं और दंगों के संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं। संगठन के सदस्य अशरफ ने कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर मुस्लिम आबादी के प्रतिनिधि पर्याप्त नहीं है। सरकार को इस पर गौर करना चाहिए। असहिष्णुता के माहौल के बारे में पूछे जाने पर अशरफ ने कहा कि कुछ घटनाओं के आधार पर एक तस्वीर बना लेना सही नहीं है। लेकिन हमें इसे चिंता का विषय मानना चाहिए। हमें इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी गंगा-जमुना की संस्कृति प्रभावित नहीं हो, क्यों कि इसी के कमजोर होने के संकेत है। चार दिवसीय विश्व सूफी मंच का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया और इसमें 22 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह एआईयूएमबी के 25 सूत्री एजेंडा जारी करने के साथ समाप्त हुआ।