चीनी का उत्पादन हुआ ठप्प, महंगी पड़ेगी मिठास

बीते साल चीनी उत्पादन में रिकॉर्ड बनाने वाली भारतीय चीनी मिलें इस साल काफी पीछे हैं। गन्ने की कमी की वजह से नवंबर के पहले पखवाड़े तक देशभर में सिर्फ 100 चीनी मिलों ने ही पेराई शुरू की है, हालंकि बीते वर्ष की समान अवधि में 310 चीनी मिलों ने उत्पादन शुरू कर दिया था।  इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (इस्मा) के अनुसार, महाराष्ट्र में सूखे और बाढ़ के कारण गन्ने की फसल की भारी नुकसान हुआ है। इस कारण अभी तक चीनी मिलों में पेराई शुरू ही नहीं हुई है। इस्मा का कहना है कि 1 अक्तूूबर 2019 से शुरू हुए पेराई सत्र में 15 नवंबर तक 4.85 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है, हालंकि बीते साल इस समय तक 13.38 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। इससे पहले इस्मा ने अनुमान जताया था कि 2019-20 में चीनी का उत्पादन 21.5 फीसदी घटकर 2.6 करोड़ टन रह सकता है। 1 अक्तूबर तक बाजार में 1.45 करोड़ टन चीनी का ओपन स्टॉक था।

महाराष्ट्र में एक भी मिल शुरू नहीं बीते साल सूखे और इस साल बारिश की वजह से फसल प्रभावित होने से महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन के दौरान अभी तक एक भी चीनी मिल ने काम शुरू नहीं किया है। बीते साल इस समय तक वहां 149 चीनी मिलों में पेराई शुरू हो गई थी। इस्मा का कहना है कि महाराष्ट्र की चीनी मिलों में 22 नवंबर से पेराई शुरू होने की उम्मीद है। इसके साथ कर्नाटक में 18 चीनी मिलें शुरू हुई हैं, जो पिछले साल 53 थीं। इसके अलावा गुजरात में तीन और तमिलनाडु में पांच मिलों ने पेराई शुरू की है तथा इन राज्यों में चालू पेराई सीजन में 15 नवंबर तक 49000 टन चीनी का उत्पादन हुआ है।

यूपी में ज्यादा रहा चीनी उत्पादन इस लिहाज से उत्तर प्रदेश की हालत बेहतर है। यूपी में चालू पेराई सीजन में अभी तक 69 चीनी मिलों में पेराई शुरू हुई है जो बीते साल के बराबर है। यूपी ने 2.93 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो बीते साल के 1.76 लाख टन से काफी ज्यादा है। इसके अलावा उत्तराखंड में दो चीनी मिलों में पेराई शुरू हुई है, जबकि बिहार में दो और हरियाणा में एक चीनी मिल अभी तक शुरू हुई है। देश की मौजूदा सालाना चीनी खपत 260 लाख टन है। 

निर्यात में आ रही तेजी इस्मा के अनुसार, अभी तक 2 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है। चीनी मिलों से जुड़े सूत्रों की मानें तो और 12 लाख टन चीनी के निर्यात का करार हो चुका है। चीनी निर्यात में इजाफा होने से मिलों को अपने बकाया भुगतान में आसानी होगी। 

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