नई दिल्ली : 24 सदस्यों वाली राज्यसभा की एक संसदीय समिति की सिफारिशों को मान लिया गया तो वह दिन दूर नहीं, जब देशभर की बसें नेशनल परमिट की तरह किसी भी राज्य में मुफ्त होकर आ-जा सकेंगी. समिति ने 'ओपन स्काई पॉलिसी' की तर्ज पर 'ओपन रोड पॉलिसी' अपनाने का सुझाव दिया है, जिसमें केंद्र और सभी राज्य सरकारें 'एक देश, एक परमिट, एक टैक्स' व्यवस्था को अपना सके. उल्लेखनीय है कि इस संसदीय समिति ने मोटर वाहन संशोधन विधेयक के प्रावधानों की पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट पिछले सप्ताह राज्यसभा को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बस को दक्षिण भारत के पांच राज्यों में संचालित किया जाए तो उसे हर साल 42 लाख रुपये की भारी-भरकम राशि परमिट फीस के रूप में भुगतान करनी पड़ती है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने समिति को बताया कि यदि राज्य सरकारें 'एक देश, एक परमिट, एक टैक्स' पर सहमत हों तो राज्यों का राजस्व भी बढ़ेगा. ऐसे में एक ऑपरेटर द्वारा ज्यादा परमिट लेने की सम्भावना भी घटेगी . बता दें कि मोटर वाहन संशोधन बिल पर बनी चयन समिति ने कहा है कि यदि राज्यों की आमदनी में वृद्धि हो तो 'एक देश एक परमिट' का यह विचार प्रशंसनीय हैं. इसके अलावा समिति ने लंबी दूरी की बसों में टॉयलेट की व्यवस्था होने, ट्रैफिक पुलिसकर्मियों और आरटीओ कर्मियों को बॉडी कैमरों से लैस होने के साथ ही किसी व्यक्ति ने मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग सर्टिफिकेट लिया है तो उसे ड्राइविंग टेस्ट के लिए लाइसेंस अथॉरिटी के पास नहीं जाने का भी सुझाव दिया है. यह भी देखें इस वित्त वर्ष राजधानी दिल्ली में कम बिके इलेक्ट्रिक वाहन बहुत जल्द आ सकते है गाड़ी चलाने के नए नियम