फिर तलवार की धार पर सुक्खू सरकार, कई विधायक बदल सकते हैं पाला

शिमला: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर राजनीतिक संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता हर्ष महाजन ने दावा किया है कि कांग्रेस की सरकार अस्थायी है और कभी भी गिर सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और पार्टी में गुटबाजी से स्थिति और खराब हो रही है। 

महाजन ने कहा कि कांग्रेस के अंदर तीन-चार अलग-अलग गुट सक्रिय हैं, जिनमें ऊना, सिरमौर और कांगड़ा के गुट प्रमुख हैं। इन गुटों से जुड़े कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने दावा किया कि कुछ कांग्रेस विधायकों को लगता है कि अगर सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बने रहे, तो उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ सकता है। भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस के अस्थिर नेतृत्व के कारण विधायक अन्य विकल्पों की ओर देख रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा इस पर कोई निर्णय संगठन की सहमति और राज्य के हितों को ध्यान में रखते हुए ही लेगी। 

महाजन ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले का भी स्वागत किया, जिसमें छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था। उन्होंने इसे कांग्रेस का असंवैधानिक कदम बताया और कहा कि सुक्खू सरकार ने राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया था, जो असफल साबित हुआ। बुधवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने छह मुख्य संसदीय सचिवों को दी गई सुविधाओं और विशेषाधिकारों को खारिज कर दिया। 

कोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति और उनके वेतन, भत्तों, तथा शक्तियों से संबंधित अधिनियम को अमान्य घोषित कर दिया। इन नियुक्तियों में अर्की के संजय अवस्थी, दून के राम कुमार, रोहड़ू के मोहन लाल बराक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह, पालमपुर के आशीष बुटेल और बैजनाथ के किशोरी लाल को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया था। महाजन ने कहा कि हिमाचल और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली के परिणाम अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। उन्होंने कांग्रेस को कमजोर नेतृत्व और नीतिगत असफलताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया। 

सुक्खू सरकार के सामने यह संकट न केवल राजनीतिक अस्थिरता का संकेत देता है, बल्कि राज्य में कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी और विधायकों के असंतोष को भी उजागर करता है। इस स्थिति में आने वाले दिनों में हिमाचल की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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