सूर्य ग्रह का महत्व ज्योतिष शास्त्र में विशेष रूप से माना गया है। जन्म कुंडली में यदि सूर्य उच्च का होता है तो संबंधित जातक न केवल यश कीर्ति को प्राप्त करता है तो वहीं आर्थिक स्थिति से भी जातक संपन्न रहकर अपने तेजस्व से लोगों को आकर्षित करता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को अग्नि तत्व का प्रधान भी माना गया है। इसके अलावा रोगों के कारण भी ग्रह योग ही बनते है। सूर्य ग्रह की यदि बात हो तो अग्नि तत्व और पित्त में घनिष्ट संबंध है अतः पित्त का नियंत्रक सूर्य ही माना गया है। यदि शुभ स्थिति में सूर्य है तो पित्त को निर्दोष रखता है लेकिन अशुभ स्थिति आते ही अनेक प्रकार के पित्त जन्य विकार उत्पन्न होने लगते है और अशुभ सूर्य की स्थिति संबंधित जातक के रक्त दोष को भी बढ़ाना शुरू कर देता है क्योंकि पित्त का संबंध रक्त से होता है। वश में होकर बंधनों में न फंसे मनुष्य शनि हो निर्बल तो रोगग्रस्त हो जाता है जातक