नई दिल्ली: अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले को आपसी रजामंदी से सुलझाने का एक और प्रयास किया जा रहा है. इस सिलसिले में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने एक बार पुनः मध्यस्थता की मांग उठाई है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश कलीफुल्ला को पत्र लिखा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम पक्षकारों में से कुछ पक्ष का मानना है कि रामजन्मभूमि हिंदुओं को देने में कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु इसके बाद हिन्दू किसी अन्य मस्जिद या ईदगाह पर दावा नहीं करें. साथ ही एएसआई के कब्जे वाली सारी मस्जिदें नियमित नमाज के लिए वापस से खोल दी जाएं. उल्लेखनीय है कि, इससे पहले भी अयोध्या मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने पहले मध्यस्थता से हल निकालने के लिए पैनल बनाया था। 155 दिनों तक इसके लिए प्रयास भी हुए, किन्तु कोई हल नहीं निकला। यह सामने आया था कि हिंदू और मुस्लिम पक्ष इस विवाद का समाधान निकालने में कामयाब नहीं हुए। सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थता के लिए जो पैनल बनाया था उसमें तीन लोग शामिल थे। इसमें शीर्ष अदालत के जज एफएम कलीफुल्ला, सीनियर वकील श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर को शामिल किया गया था, किन्तु मध्यस्थता पैनल से कोई समाधान नहीं निकल सका, जिसके बाद अदालत ने प्रतिदिन सुनवाई कर मामले का फैसला लिया है और सुनवाई जारी है। INX मीडिया मामला: आज पी चिदंबरम का 74वां जन्मदिन, पहली बार जेल में बिताएंगे यह दिन पश्चिम बंगाल: 'दीदी' की कुर्सी छीनने के लिए भाजपा ने बनाया मास्टर प्लान, इस तारीख से शुरू होगा अभियान विदेशी मीडिया से मुखातिब होंगे संघ पमुख मोहन भागवत, इस बात पर रहेगा जोर