पेरिस: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी इस समय विदेश दौरे पर हैं, जहाँ वे विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में राहुल ने 8 सितंबर को पेरिस की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों के सामने भाषण भी दिया। लेकिन, इस दौरान राहुल गांधी के साथ जो 'शख्स' बैठा दिखा, उसे लेकर भारत में सियासी बवाल शुरू हो गया है। दरअसल, फ़्रांसिसी लेखक और कॉलमिस्ट क्रिस्टोफ जैफरलॉट राहुल गांधी के साथ बैठा हुआ था। विवाद इस बात को लेकर है कि, क्रिस्टोफ जैफरलॉट भारत और हिंदुओं के खिलाफ नफरत उगलने के लिए जाने जाते हैं। राहुल के इस कार्यक्रम की तस्वीर कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर डाली थीं। विदेशी धरती से भारत को नीचा दिखाने का आरोप झेलने वाले राहुल गांधी के साथ दिखे क्रिस्टोफ जैफरलॉट बीते काफी समय से भारत विरोधी लेख लिखते रहे हैं। क्रिस्टोफ अक्सर, भाजपा के नेतृत्व वाली भारत सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी को टारगेट करते रहे हैं। वो क्रिस्टोफ जैफरलॉट ही थे, जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के धार्मिक रूप से पीड़ित अल्पसंख्यक (सिख, जैन, हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, यहूदी) को आश्रय और भारत की नागरिकता देने के लिए ला गए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को भारत की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ बताया था। यहाँ तक कि, क्रिस्टोफ ने CAA की तुलना इजरायल और वहाँ के यहूदियों से करते हुए कहा था कि, 'ये दृष्टिकोण जातीय और धार्मिक आधार पर किसी भी देश की दृष्टि को प्रदर्शित करता है। जहाँ बहुसंख्यक आबादी के अलावा, बाकी सभी को दोयम दर्जे की जिंदगी जीने को मजबूर किया जाता है। यह इजरायल की तरह है, जहाँ यहूदी बहुसंख्यक हैं।' हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि अल्पसंख्यकों को (मुस्लिमों को छोड़ कर) नागरिकता देने के भारतीय कानून में जैफरलॉट को काफी समस्या दिखती है, मगर, भारत के 3 पड़ोसी इस्लामी मुल्कों में अल्पसंख्यकों (सिख, जैन, हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, यहूदी) की दयनीय स्थिति पर वे बेशर्मी से आँख मूँद लेते हैं। पाकिस्तान में हिन्दू-सिख लड़कियों के अपहरण, उनके बलात्कार, धर्मान्तरण, जबरन निकाह पर क्रिस्टोफ कभी बोलते नहीं दिखते, लेकिन जब उन पीड़ितों को भारत में शरण देने की बात की जाती है, तो इस फ़्रांसिसी लेखक को धर्मनिरपेक्षता पर खतरा दिखाई देता है। यानी कुल मिलाकर देखा जाए, तो क्रिस्टोफ जैफरलॉट का रवैया एकतरफा लगता है। यही नहीं यही क्रिस्टोफ जैफरलॉट हिंदुओं में आत्मसम्मान की कमी होने का दावा करते हैं और भारत में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट का ‘झूठा’ करार देते हैं। जबकि तथ्य देखा जाए, तो भारत में मुस्लिम आबादी फल-फूल रही है, और अब तक लगभग 30 करोड़ हो चुकी है, वहीं 3 पड़ोसी मुल्कों में अल्पसंख्यक 'शून्य' होने की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, क्रिस्टोफ भारत विभाजन के लिए अंग्रेजों को तो जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन, इस्लामिक चरमपंथियों और मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग के दौरान किए गए लाखों भारतीयों के नरसंहार, जैसे बंगाल का 'डायरेक्ट एक्शन डे' का जिक्र करना भूल जाते हैं। इतना ही नहीं, राहुल गांधी के साथ बैठे दिखे क्रिस्टोफ, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ चुके और कई निर्दोष लोगों की हत्या कर चुके आतंकियों को दोषी ठहराते या उनकी निंदा करते नज़र नहीं आते। बल्कि उनका कहना ये होता है कि भारत में 1993 से लेकर 2008 तक जितने भी आतंकी हमले हुए हैं, उसका लाभ भाजपा को मिला है। क्रिस्टोफ का कहना है कि भाजपा भय की राजनीति कर चुनाव जीतती है, यानी देश में बम धमाके हों, आतंकी हमले हों और कोई जनता को उनसे सुरक्षित रखने का मुद्दा उठाए, तो यह फ़्रांसिसी लेखक की नज़रों में भय की राजनीति है। जैफरलॉट का एकतरफा रवैया तब फिर से उजागर होता है, जब वह ‘बजरंग दल’ पर हिंसा करने, चर्च और मुस्लिमों के साथ मारपीट करने का इल्जाम तो लगाते हैं, हिंदुओं द्वारा किए गए किसी भी पलटवार की पुरजोर तरीके से निंदा करते हैं। किन्तु, दूसरी ओर से यानी, कट्टरपंथियों द्वारा लव जिहाद की शिकार हुईं कई बेटियों, आए दिन शोभायात्राओं पर हो रहे हमले, भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए चल रही साजिशों पर उनकी गजब की चुप्पी, उनके दोगलेपन को दर्शाती है। क्रिस्टोफ का मानना है कि, भारत में ईसाई-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यव्हार किया जाता है, साथ ही वो 370 के भी समर्थक हैं, जिसे मोदी सरकार ने 6 अगस्त 2019 को रद्द कर दिया था। राहुल गांधी के विचार भी ये हैं, या यूँ कहें कि यहीं (क्रिस्टोफ जैसे लोगों) से आते हैं। इसका उदाहरण हम राहुल के ब्रिटेन-अमेरिका दौरे पर देख चुके हैं, जब उन्होंने क्रिस्टोफ की भाषा में ही कहा था कि, भारत में लोकतंत्र खत्म हो चुका है, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है, मुस्लिम-ईसाई, सिखों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है। डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व इंवेट:- बता दें कि, वर्ष 2021 में आयोजित ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व इंवेट’ (वैश्विक हिंदुत्व पहल को ख़त्म करना) में क्रिस्टोफ जैफरलॉट को वक्ता के रूप में बुलाए गए थे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य हिंदुत्व के खिलाफ लड़ना और हिंदू धर्म को टारगेट करना था। जैफरलॉट ने इस कार्यक्रम में अपने भषणों से हिंदुत्व पर तीखा हमला किया था। इसमें आश्चर्य नहीं कि, आज भारत में DMK नेता उदयनिधि स्टालिन, जिस तरह सनातन धर्म को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कर रहे हैं और उसपर कुछ कांग्रेस नेता अपना समर्थन दे रहे हैं, तो ये क्रिस्टोफ जैफरलॉट के विचारों का ही असर है। खैर, क्रिस्टोफ जैफरलॉट तो विदेशी है, भारत और हिन्दुओं के प्रति उनकी नफरत के अपने निजी या राजनितिक कारण हो सकते हैं, लेकिन मोहब्बत की दूकान खोलने का दावा करने वाले राहुल गांधी तो भारत के हैं, उस परिवार के हैं, जिसने दशकों तक देश पर शासन किया है, ऐसे में राहुल को उनके साथ मंच साझा करते देखना थोड़ा खल रहा है। साथ ही जब राहुल, उनकी ही भाषा बोलते हैं, तो वे अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, लेकिन भारत विरोध में चलाए जा रहे विदेशी अजेंडे को ताकत दे रहे होते हैं। क्योंकि, पाकिस्तान भी तो दुनिया में यही ढोल पीटता है कि, भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है, वही बात क्रिस्टोफ कह रहे हैं और राहुल दोहरा रहे हैं। हालाँकि, भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के दावों का पुरजोर खंडन करती रही है। 'जिनके पति बूढ़े होते हैं, वो औरतें..', महिलाओं को लेकर कांग्रेस विधायक केपी सिंह का शर्मनाक बयान, Video जब G20 डिनर में जाना ही नहीं था, तो 'झूठ' क्यों बोलना ? सीएम गहलोत और भूपेश बघेल के अजीब दावे '200 घंटे की नॉन स्टॉप वार्ता, 300 बैठकें..', G20 शेरपा ने बताया - कैसे दुनिया ने मानी भारत की बात !