वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो को अपने विदेश मंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है, और यदि यह पुष्टि होती है, तो वे अमेरिका के पहले लैटिन अमेरिकी विदेश मंत्री बनेंगे। रुबियो, जो फ्लोरिडा से हैं, को ट्रंप की टीम में विदेश नीति के लिए आक्रामक रुख अपनाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने हमेशा अमेरिका के दुश्मनों के खिलाफ सख्त रुख की वकालत की है, खासकर चीन, ईरान और क्यूबा के मामलों में। रुबियो का विदेश नीति अनुभव और उनका सख्त रुख चीन, रूस और मध्य-पूर्व के मामलों में प्रमुख रहा है। वे भारत के साथ मजबूत रिश्ते बनाने के समर्थक रहे हैं, और उन्होंने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझीदार के रूप में देखा है। रुबियो का कहना है कि अमेरिका-भारत रिश्तों को बढ़ावा देने से न केवल दोनों देशों के आर्थिक हितों को फायदा होगा, बल्कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को भी मजबूत किया जाएगा। चीन के खिलाफ रुबियो का रुख सख्त है, और वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की मानवाधिकारों की उलंघन, व्यापार नीतियों और दक्षिण चीन सागर में उनकी आक्रामकता की आलोचना करते रहे हैं। उनका मानना है कि चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाबदेह ठहराना आवश्यक है। इसके अलावा, रुबियो ने NATO का समर्थन किया है और यूरोप में रूस के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए इस गठबंधन की अहमियत पर जोर दिया है। रुबियो का दृष्टिकोण यूक्रेन-रूस युद्ध में भी महत्वपूर्ण है, जहां उन्होंने कहा कि युद्ध का समाधान बातचीत के जरिए होना चाहिए, और रूस के साथ समझौते पर जोर दिया। मिडल ईस्ट में, वे इजरायल के प्रमुख अमेरिकी सहयोगी के रूप में समर्थन करते हैं और हमास की आलोचना करते हैं, जिसे वे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानते हैं। अगर रुबियो को विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो उनका रुख अमेरिकी विदेश नीति को वैश्विक स्तर पर और सख्त बनाने की दिशा में होगा, खासकर चीन और रूस के खिलाफ। आतंकी यासीन मलिक ने ख़त्म की भूख हड़ताल..! HC ने कहा- उन्हें उचित देखभाल दीजिए दिल्ली: कचरे से बिजली बनाने की योजना ने 10 लाख लोगों को खतरे में डाला 'इस्लाम कबूलने वाले थे अंबेडकर, दलितों-मुस्लिमों में गहरा रिश्ता..', कांग्रेस नेता का दावा