नई दिल्ली : आरक्षण के लिए अनुसूचित युवा या युवती से शादी कर, झूठे प्रमाण पत्र बनवाने और नौकरी पाने वालों की अब खैर नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक केस की सुनवाई के पश्चात् एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, कोर्ट ने कहा, किसी भी मनुष्य की जाती अपरिवर्तनीय होती है, वह जिस जाति में जन्मा है वही जाति उसकी जीवन भर रहेगी, शादी करने के बाद भी उसकी जाति नहीं बदलेगी. मामला कुछ इस तरह है कि, सुप्रीम कोर्ट में एक महिला के खिलाफ गैर कानूनी तरीके से नौकरी हथियाने का आरोप लगा था. जिसकी सुनवाई अरुण मिश्रा और एमएम शांतनागौदर की बेंच ने की. महिला अग्रवाल परिवार में जन्मी थी, और उसने एक अनुसूचित युवक से शादी कर 1991 में बुलंदशहर के मजिस्ट्रेट ने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया था. जिसे प्रस्तुत कर महिला ने केंद्रीय विद्यालय में नौकरी प्राप्त कर ली. महिला वहां 20 वर्षों तक नौकरी कर चुकी है, और फिलहाल वाइस प्रिंसिपल की पोस्ट पर थी. पुरे केस की सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है कि, जाति जन्म से ही निर्धारित होती है, किसी भी अनुसूचित से शादी करने के बाद आपको उस जाति का प्रमाण पत्र नहीं मिल सकता. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, इस तरह के और मामले अदालत में आने की सम्भावना बढ़ गई है. पद्मावत को लेकर वसुंधरा सरकार की सख्ती कायम आम बजट से होगी फ़रवरी माह की शुरुआत मणिशंकर अय्यर ने अब क्या कह दिया ?