तिरुअनंतपुरम : केरल के सबरीमाला मंदिर में अब सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि हर उम्र कि महिला को पूजा का अधिकार है. धर्म के नाम पर पुरुषवादी सोच स्वीकार्य नहीं हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भगवान कि नज़र में पुरुष और महिला सामान हैं इसलिए महिलाओं को रोकने का कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने कहा कि धर्म महिलाओं पर पाबंदी नहीं लगा सकता. मंदिर किसी की प्राइवेट संपत्ति नहीं है बल्कि सार्वजानिक संपत्ति है. सबरीमाला के नियम धार्मिक भावनाओं के खिलाफ हैं. कोर्ट के द्वारा दिए गए इस फैसले को पुरुषवादी सोच पर महिलाओं की बड़ी जीत माना जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि भगवान अयप्पा हिन्दू थे और उनके मंदिर में भक्तों के प्रवेश को दैहिक आधार पर नहीं बांटे. इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में जाने की अनुमति मिल गई है. हिमाचल बर्फ़बारी: युद्धस्तर पर बचाव कार्य जारी, 700 लोगों के फंसे होने की आशंका सबरीमाला मंदिर में पिछले कई सालों से ये रोक लगी हुई थी कि 14 साल से 50 साल तक की उम्र की महिला इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती. इसी पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि महिलाएं किसी भी तरह पुरुषों से कम नहीं है तो उन्हें ये प्रतिबंध क्यों लगाए गए हैं इसी को देखते हुए कोर्ट ने इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया है. सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल, कमांडरों की बैठक में शामिल होंगे पीएम मोदी एशिया कप 2018: फाइनल के पहले बांग्लादेश को बड़ा झटका, चोटिल शाकिब नहीं खेल पाएंगे मुकाबला