नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते लागू किए गए लॉकडाउन में बड़ी तादाद में लोगों का अपने शहरों की तरफ पलायन हुआ है. किन्तु लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई को लेकर बाल तस्करी और बाल श्रम का खतरा बढ़ गया है. शीर्ष अदालत ने इस संबंध में सरकार से रिपोर्ट मांगी है. शीर्ष अदालत ने बाल तस्करी और बाल श्रम के संभावित खतरे पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम वही हैं जो उन्हें सस्ते बाल श्रम बाजार में उपलब्ध कराते हैं. साथ ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से कहा कि वह बचपन बचाओ आंदोलन से बाल तस्करी और बाल श्रम पर जुड़े आंकड़े प्राप्त करे. साथ ही अदालत ने यह भी कि पूछा कि क्या व्यक्तिगत मदद लेने वाले हर ठेकेदार को पंजीकृत किया जा सकता है और निगरानी की जा सकती है. सुनवाई के दौरान वकील एचएस फुल्का ने जानकारी देते हुए बताया कि बड़ी संख्या में बच्चियों को बेचा जा रहा है. बचपन बचाओ आंदोलन ने बंगाल में 136 बच्चियों के बाल विवाह की सूचना दी है. CJI एसए बोबडे ने कहा कि हम चाहते हैं कि आप कुछ होमवर्क करें. ऐसे तरीके का पता लगाएं, जिसमें यदि कहीं पर एक बच्चा काम कर रहा है, तो क्या किया जा सकता है? उन्होंने यह भी कहा कि क्या निजी काम करने वाला हर ठेकेदार भी कहीं रजिस्टर्ड हो सकता है? उन्होंने कहा कि यह संगीन मामला इसलिए है क्योंकि बाल श्रम कराने के लिए बाजार है. CJI जस्टिस बोबडे ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि इस खतरे को रोकने के उपाय खोजें. लगातार पांचवे दिन गिरे सोने के दाम, चांदी की कीमत में भी आई भारी गिरावट देश में कब शुरू होंगी इंटरनेशनल फ्लाइट्स ? विमानन मंत्री हरदीप पुरी ने दिया जवाब कैंसिल ट्रेन टिकट के रिफंड को लेकर ना हों परेशान, रेलवे ने कर दिया है बड़ा ऐलान