नई दिल्ली: भारत विभाजन के दौरान लाखों की संख्या में लोग पाकिस्तान चले गए थे लेकिन अब वह वापस लौटना चाहते हैं। जानकारी के अनुसार बता दें कि पाकिस्तानियों को भारत में बसाने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने 35 साल पहले एक कानून बनाया था, जिस पर विवाद चल रहा है। यह विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में है। वहीं बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर पुनर्वास कानून, 1982 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जानना चाहा कि राज्य से पलायन करने वाले कितने लोगों ने पाकिस्तान से लौटने के लिये आवेदन किया है। तेलंगाना: केसीआर ने अपने बेटे को बनाया टीआरएस का अध्यक्ष वहीं बता दें कि शीर्ष अदालत यह भी जानना चाहती थी कि कितने विस्थापितों और उनके वंशजों ने अभी तक इस मामले में आवेदन किया है और क्या ये आवेदन स्थाई निवासियों जम्मू कश्मीर संविधान के तहत विशेष अधिकार पाने वाले व्यक्तियों ने दिये हैं। इसके साथ ही बता दें कि देश के प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि इस बारे में आवश्यक निर्देश प्राप्त कर लें। बर्फीली हवाओं से गिरा दिन का तापमान, आगे ऐसा रहेगा मौसम गौरतलब है कि पीठ ने इसके साथ ही इस कानून को चुनौती देने वाली याचिका 22 जनवरी के लिये सूचीबद्ध कर दी है। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि वह सक्षम प्राधिकार से आवश्यक निर्देश प्राप्त करके इस कानून के तहत वापस लौटने का आवेदन करने वाले विस्थापितों और उनके दस्तावेज का विवरण पेश करेंगे। खबरें और भी विजयवर्गीय ने राहुल पर कसा तंज, कहा 'मेड इन चित्रकूट' मोबाइल खरीदने का है इंतज़ार चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने, दुष्कर्म की तस्वीरों को वेबसाइटों से हटाने का गृहमंत्रालय ने जारी किया आदेश राफेल पर अदालत के फैसले के बाद छिड़ी नई जंग, अमित शाह ने राहुल को घेरा