नई दिल्ली: केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर मामले में केरल सरकार ने दो टूक कह दिया है कि वह मंदिर में दर्शन करने जाने वाली महिलाओं को नहीं रोकेगी, किन्तु उन्हें सुरक्षा देने की कोई योजना नहीं है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को यह मामला सात जजों की बेंच को सौंप दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी। लेकिन फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल हुईं, जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसे सात जजों की बेंच के पास भेज दिया। केरल में मंदिर मामलों से सम्बंधित मंत्री काडाकंपाली सुरेंद्रन ने कहा है कि राज्य सरकार मंदिर में प्रवेश करने वाली किसी भी महिला को सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी। तृप्ति देसाई जैसी सामाजिक कार्यकर्ता सबरीमाला मंदिर को अपनी शक्ति दिखाने का माध्यम न समझें। यदि उन्हें पुलिस सुरक्षा चाहिए तो उन्हें शीर्ष अदालत से आदेश लाना होगा। एक प्रेस वार्ता में मंत्री सुरेंद्रन ने कहा है कि सरकार महिलाओं को गेट तोड़कर मंदिर में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेगी। मंदिर को यथास्थिति बरक़रार रखा जाए। सरकार शांति चाहती है। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सबरीमाला में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मामले को दाखिल पुनर्विचार याचिका को बड़ी बेंच को सौंप दिया था। व्हॉट्सएप जासूसी की जांच करेगी संसदीय समिति, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा करेंगे अध्यक्षता 'उस वक़्त मानवाधिकार कहाँ था, जब कश्मीर में इस्लामिक क्रूरता चरम पर थी' - सुनंदा वशिष्ठ सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का बड़ा बयान, कहा- सेना में शामिल होने को राजी नहीं कुर्दिश लड़ाके