नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में नामांकन भरते वक़्त प्रत्याशियों द्वारा 'हमें भारत के संविधान की जानकारी है' की सार्वजनिक घोषणा किए जाने की मांग वाली याचिका रद्द कर दी है. यह याचिका भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि राजनीतिक दल को ऐसे लोगों को टिकट देने से रोका जाए, जिनके ऊपर चुनाव से वर्ष भर पहले से गंभीर अपराध में आरोप सिद्ध हैं. अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता इस मांग को चुनाव आयोग में रखे. डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे की कमजोरी के साथ खुला याचिका में कहा गया था कि, अगर अपराधियों को राजनीतिक पार्टियां टिकट देती हैं, तो ऐसी पार्टियों की मान्यता को रद्द कर देनी चाहिए. याचिका में मांग की गई थी कि अगर कोई भी राजनीतिक दल दागी नेता को टिकट देता है, तो ना केवल उसकी मान्यता रद्द हो बल्कि उसका चुनाव चिन्ह भी छिन लिया जाना चाहिए. सप्ताह के पहले दिन बाजार में देखने को मिल रही है बढ़त याचिकाकर्ता ने कहा था कि शीर्ष अदालत इन तमाम बातों को लेकर चुनाव आयोग को निर्देश दे. इसमे यह भी कहा गया था कि गंभीर अपराध जिसमे पांच साल या इससे ज्यादा की सजा का आरोप कोर्ट में सिद्ध होना है, उस दागी उम्मीदवार को भी चुनाव में लड़ने का टिकट नहीं दिया जाना चाहिए. हालाँकि अदालत इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा है कि इस मामले में चुनाव आयोग को ही फैसला लेना चाहिए. खबरें और भी:- सप्ताह के पहले दिन भी कीमतों में वृद्धि के साथ हुई पेट्रोल और डीजल की शुरुआत अनिल अम्बानी के छोटे बेटे ने ली रिलायंस में एंट्री, इस काम से शुरू करेंगे करियर मायावती पर अभद्र टिप्पणी कर फंसी भाजपा विधायक, महिला आयोग भेजेगा नोटिस