नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को उस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें चुनाव के दौरान चुनावी बॉन्ड (इलेक्टोरल बॉन्ड) की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई थी. ADR की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर वकील प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा इलेक्टोरल बॉन्ड सत्ताधारी दल को चंदे के नाम पर घूस देकर अपने काम कराने का माध्यम बन गया है. वहीं, निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत में कहा कि वह चुनावी बॉन्ड योजना का समर्थन करता है. इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि हमेशा ये रिश्वत का चंदा सत्ताधारी दल को ही नहीं, बल्कि उस दल को भी चंदा मिलता है, जिसके अगली बार सत्ता में आने के आसार अधिक रहते हैं. इससे पहले वकील प्रशांत भूषण ने कहा की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. क्योंकि RBI का कहना है कि बॉन्ड्स का सिस्टम आर्थिक हेराफेरी का एक तरह का हथियार या माध्यम है. उन्होंने कहा कि कई लोग देश-विदेशों में पैसे जमा कर औने-पौने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं. ये दरअसल सरकारों के काले धन के खिलाफ कथित अभियान की सच्चाई बयान करता है, बल्कि उनकी साख पर भी सवाल खड़े करता है. फिलहाल चुनावी बॉन्ड मामले में शीर्ष अदालत में सुनवाई पूरी हो गई है. अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. साथ ही न्यायालय ने पक्षकारों से कहा कि वो चाहें तो लिखित दलील कोर्ट के पास भिजवा सकते हैं. भारतीय सार्वजनिक ऐप ने A91 भागीदारों और मौजूदा निवेशकों से जुटाए 300 करोड़ रुपये हीरो मोटोकॉर्प ने की अप्रैल से मोटरसाइकिलों की कीमतों में वृद्धि की घोषणा एक बार फिर चर्चाओं में आई सऊदी अरामको रिलायंस यूनिट