नई दिल्ली: असम एनआरसी वर्तमान समय में देश में सबसे चर्चित और विवादित मुद्दा है, जिसे लेकर जहाँ सियासत में भूचाल आ गया है, वहीं असम के 40 लाख लोग अपने भविष्य को लेकर भयभीत हैं. लेकिन इन लोगों को शीर्ष अदालत की तरफ से ढाढ़स बंधाया गया है, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर कुछ लोग इस लिस्ट में जगह नहीं बना सके हैं तो हमें इसे ठीक करना चाहिए. NRC पर बोली मायावती, दस्तावेज नहीं तो क्या देश से निकाल दोगे जस्टिस गोगोई की बेंच में चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के समन्यवक समिति के सामने कई सवाल खड़े किए. कोर्ट ने समिति से पूछा कि ऑपरेटिंग प्रोसिजर के लिए क्या किया गया ? साथ ही यह भी पूछा कि इसके लिए कितना अभ्यास किया गया था ? शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, निष्पक्ष रूप से इस मामले की जांच करने की जरुरत थी. राजीव गाँधी लाए थे NRC, पर कांग्रेस लागु नहीं कर पाई- अमित शाह शीर्ष अदालत ने कहा कि चूँकि ये मामला 40 लाख लोगों के जीवन-मरण से जुड़ा हुआ है, इसलिए जल्दबाज़ी में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा है कि एनआरसी ड्राफ्ट महज एक मसौदा है, उन 40 लाख लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी. खबरें और भी:- असम के बाद, अब पश्चिम बंगाल पर लटकी NRC की तलवार सदन लाइव: असम एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर टीएमसी का विरोध प्रदर्शन EDITOR DESK: नागरिकता पर सवाल उठाकर राजनीति चमकाने की कोशिश